Bihar Politics: पहले CM नीतीश, फिर सुशील मोदी, अचानक राज्यपाल से क्यों मिलने पहुंच गए ये दो नेता? बढ़ी हलचल
Bihar News: बिहार की राजनीति में सीएम नीतीश कुमार और सुशील मोदी की मुलाकात की खूब चर्चा होने लगी है. वहीं, इसको लेकर सुशील मोदी ने बुधवार को बयान दिया.
पटना: सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) की मुलाकात के बाद बिहार की राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. दरअसल, बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर (Rajendra Vishwanath Arlekar) से मुलाकात करने बुधवार को सीएम नीतीश कुमार पहुंचे हुए थे. इस दौरान राज्यपाल हाउस बीजेपी (BJP) नेता सुशील कुमार मोदी भी पहुंच गए. इस मुलाकात के बाद बिहार की राजनीति को लेकर कई तरह के कयास भी लगाने शुरू हो गए हैं. इसे 2024 लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) से जोड़कर देखा जा रहा है. वहीं, इससे सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या नीतीश कुमार फिर से नई खिचड़ी बनाने की तैयारी कर रहे हैं.
सुशील मोदी ने बताया औपचारिक मुलाकात
इस मुलाकात को लेकर सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राज्यपाल हाउस संयोग है कि मुख्यमंत्री के आने के बाद मैं पहुंचा. एक औपचारिक मुलाकात थी. बहुत दिनों से मुलाकात नहीं हुई थी. राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर से पुरानी जान पहचान है. कॉलेज के समय एक साथ हम लोगों ने विद्यार्थी परिषद में काम किया. आगे उन्होंने राज्यपाल की तारीफ करते हुए कहा कि वो बहुत ही बेहतरीन तरीके से विश्वविद्यालय को चला रहे हैं. हायर एजुकेशन पर ध्यान दे रहे हैं. हायर एजुकेशन में लगातार वो सुधार करने में लगे हुए हैं. उनको इसलिए बधाई भी देनी थी.
'यह मुलाकात एकमात्र संयोग था'
पूर्व डिप्टी सीएम ने सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात पर कहा कि यह एकमात्र संयोग था कि मुख्यमंत्री के पहुंचने के बाद मैं पहुंचा, लेकिन इसका कोई अर्थ नहीं निकालना चाहिए. वही, शिक्षक भर्ती में आवासीय नीति खत्म करने पर उन्होंने कहा कि यह सब बिहारियों का अपमान है. शिक्षा मंत्री कह रहे हैं कि भौतिकी, रसायन और गणित के अभ्यर्थी नहीं मिल रहे हैं तो फिर बिना परीक्षा दिए यह कैसे पता चल गया? बाहर के लोग यहां आकर पढ़ाएंगे तो बिहार के लोग कहां जाएंगे?
सरकार की नीयत नियुक्ति करने की नहीं है- सुशील मोदी
बीजेपी नेता ने कहा कि सरकार को इस निर्णय पर फिर से विचार करना चाहिए. इसे तुरंत वापस लेना चाहिए. शिक्षक तो तृतीय श्रेणी के कर्मी माने जाते हैं तो वर्ग तीन और चार में भी बाहर के अभ्यर्थी लाएंगे तब तो बेकार ही बिहार के अंदर इतने कॉलेज चल रहे हैं. सरकार की मंशा बहाली करने की नहीं है. इस बहाली से सरकार को 11 हजार करोड़ अतिरिक्त भार आएगा. सरकार के पास तो वेतन देने के लिए पैसे नहीं है. सरकार चाहती है कि यह मामला कोर्ट में जाए और फंस जाए. सरकार की नीयत नियुक्ति करने की नहीं है.
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