पटना: कथित जहरीली शराब पीने से प्रदेश में एक के बाद एक कई लोगों की मौत के बाद सूबे का सियासी पारा चढ़ा हुआ है. इसी बीच बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी (Sushil Modi) ने राज्य सरकार से बड़ी मांग की है. उन्होंने शनिवार को ट्वीट कर कहा, " बिहार के गोपालगंज सहित तीन जिलों में जहरीली शराब पीने से 30 से ज्यादा लोगों के मरने की अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद प्रशासन को दोषियों की पहचान कर तुरंत कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए."


मृतकों के परिजनों को मिले मुआवजा


राज्यसभा सांसद ने कहा, " ऐसे मामले में स्पीडी ट्रायल के जरिये मौत के सौदागरों को फांसी की सजा दिलाई जानी चाहिए. साल 2016 में गोपालगंज के खजूरबन्ना में जहरीली शराब से 19 लोगों की मौत के बाद दोषी पाए गए नौ को फांसी और चार महिलाओं को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी. ऐसी घटना में मृतक के परिवार का कोई दोष नहीं होता, इसलिए सरकार ने उस समय हर आश्रित परिवार को 4-4 लाख रुपये का मुआवजा दिया था."


 






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उन्होंने मांग किया कि इस बार भी सरकार को पीड़ित आश्रितों को 4-4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने का विचार करना चाहिए. सुशील मोदी ने कहा, " जहरीली शराब से मौत की घटनाएं उन राज्यों में भी हुईं, जहां मद्यनिषेध लागू नहीं है, इसलिए ऐसी दुखद घटनाओं के बहाने शराबबंदी हटाने की दलील नहीं दी जानी चाहिए. बिहार की जनता और विशेष कर आधी आबादी ने शराबबंदी को खुशी से स्वीकार कर लिया है."


शराबबंदी के फैसले पर दृढ़ रहे सरकार






शराबबंदी के फैसले पर दृढ़ रहे सरकार


सुशील मोदी ने कहा, " गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने मद्य निषेध लागू रखा और बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने पीड़ित महिलाओं की एक आवाज पर इसे सख्ती से लागू किया. शराबबंदी लागू होने से घरेलू हिंसा और स्कूल-कॉलेज जाने वाली लड़कियों पर भद्दी छींटाकशी की घटनाएं काफी कम हुईं. राज्य सरकार को शराबबंदी के फैसले पर दृढ़ रहना चाहिए."



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