पटना: बिहार में अभी शराब के मुद्दे पर राजनीति गरमा गई है. छपरा में अभी तक जहरीली शराब से 60 लोगों की मौत ( Saran Hooch Tragedy) हो चुकी है. इसको लेकर विपक्ष सरकार पर लगातार हमला बोल रहा है और आरोप लगा रहा है. वहीं, इन सब के बीच शराबियों के मरने पर मुआवजा को लेकर अब बहस शुरू हो गई है. हालांकि सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सदन में भी ये स्पष्ट कर चुके हैं कि ऐसे मामलों में कोई मुआवजा नहीं मिलेगा. इसके पीछे सीएम अपना तर्क भी रख रहे हैं. आइये जानते हैं मुआवजा नहीं दिए जाने के पीछे क्या कारण है.
सरकार और विपक्ष आमने- सामने
छपरा में जहरीली शराब से मौत के मामले पर सरकार और विपक्ष आमने- सामने है. दोनों के बीच आरोप- प्रत्यारोप का दौर जारी है. विपक्ष इस घटना के बाद विपक्ष बिहार में शराबबंदी को फेल बता रहा है. इसको घटना में मरने वालों को मुआवजा दिए जाने की बात कह रहा है. इसको लेकर सदन में सरकार और विपक्ष के बीच तकरार भी देखने को मिला. लेकिन सरकार इस मुद्दे पर पीछे हटने को तैयार नहीं है. सीएम नीतीश कुमार सदन में कह चुके हैं कि शराब से मरने वालों को कोई मुआवजा नहीं मिलेगा.
नीतीश कुमार का है क्लियर स्टैंड
सीएम नीतीश कुमार पहले भी कई बार शराब से मरने वालों को कोई मुआवजा नहीं दिए जाने की बात कह चुके हैं. नीतीश कुमार का कहना है कि बिहार में 2016 से शराबबंदी है. ऐसे में शराब बेचना और पीना दोनों बिहार में अपराध है, जो पिएगा वो तो मरेगा ही, ये तो एक उदाहरण है. ये बयान नीतीश कुमार इन दिनों कई बार दे चुके हैं. इसके साथ ही वो लोगों से अपील करते हैं कि बिहार में सालों से शराबबंदी है तो कुछ लोग गड़बड़ी कर देते हैं. इससे लोगों को सचेत रहने की जरूरत है. लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. वहीं, नीतीश कुमार शराबबंदी को लेकर बिहार में पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. कुछ दिन पहले ही जेडीयू के कार्यक्रम में एक बार फिर उन्होंने स्पष्ट किया था कि शराबबंदी नहीं हटने वाला है. इसको लेकर कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.
2016 से शराबबंदी कानून लागू
बता दें कि बिहार में 2016 से शराबबंदी कानून लागू है. इसके बावजूद सूबे में जहरीली शराब का कहर नहीं थम रहा है. 6 साल में अब तक 202 लोगों की जहीरीली शराब पीने की वजह से मौत हो चुकी है. बिहार में जहीरीली शराब पीने की वजह से सबसे ज्यादा 2021 में 90 मौतें हुई थी. राज्य में 2020 में, 2019 में 9, 2018 में 9, 2017 में 8 और 2016 में 13 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 2022 में अब तक 67 लोग जहरीली शराब पीने की वजह से मारे गए हैं. अधिकांश मौतें गोपालगंज, छपरा, बेतिया और मुजफ्फरपुर जिले में हुई है.
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