पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मूड इन दिनों काफी खुशनुमा है. बीते कुछ महीने से उनके हाव भाव और व्यवहार में काफी परिवर्तन देखने को मिल रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश (Nitish Kumar) का लोगों से मुस्कुरा कर बातें करना और शिष्टाचार से मिलना तथा झुक कर चरण स्पर्श करना बहुत कुछ बयान करता है. बीते दो दिनों में मुख्यमंत्री तीन बार सिर झुकाते नजर आए. इससे पहले भी कई दफे उनको इसी शिष्टाचार में देखा गया. नौ अगस्त को नीतीश कुमार बीजेपी का साथ छोड़कर महागठबंधन में आ गए. इसके बाद कई तरह के कार्यक्रम में शामिल हुए. बीजेपी ने कई तरह के आरोप भी लगाए, लेकिन मुख्यमंत्री के चेहरे पर हर बार मुस्कुराहट बरकरार रही. इससे कयास लगा सकते हैं कि नीतीश कुमार महागठबंधन में आने के बाद काफी खुश हैं. उनके इस तेवर पर बीजेपी और महागठबंधन की ओर से भी रिएक्शन आया है. बीजेपी और एलजेपी ने इसे बेचैनी और बौखलाहट बताई है तो कांग्रेस और आरजेडी ने बीजेपी से आजादी की खुशी बताई.


बदले बदले से नीतीश कुमार


शनिवार को पटना में शराबबंदी पर कार्यक्रम था. कार्यक्रम से निकलते वक्त पत्रकारों ने जब उनसे सवाल करना चाहा तो मुस्कुराते हुए पत्रकारों के पास आए और कहा कि आप अच्छे से लिखिएगा. इसके लिए मैं आपका चरण स्पर्श करता हूं. इतना ही नहीं वह झुककर पत्रकारों का चरण स्पर्श करने लगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कल शाम शनिवार को एक होटल में इंगेजमेंट समारोह में शामिल हुए. वहां गोल्डमैन के नाम से चर्चित प्रेम सिंह को देखा और अपने पास बुला लिया. प्रेम सिंह ने जब नीतीश कुमार का पैर छूना चाहा तो 71 वर्षीय नीतीश कुमार ने उनका हाथ पकड़ कर खुद 50 वर्षीय प्रेम सिंह का पैर छूने लगे. आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रदेश कार्यालय में राज्य परिषद की बैठक में भाग लेने के लिए पहुंचे. वहां राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह नीतीश कुमार का पैर छूने लगे तो नीतीश कुमार ने शिष्टाचार दिखाते हुए भी सिर झुकाया और उनका हाथ पकड़ लिया.


बीजेपी के साथ के शासनकाल में नहीं दिखती थी नीतीश की मुस्कुराहट


एक दौर था जब बीजेपी के साथ के शासनकाल में मुख्यमंत्री पत्रकारों से कोई भी सवालों का जवाब बेरुखी से देते थे. उनके चेहरे पर मुस्कान कभी नहीं दिखती थी. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने एलान कर दिया था कि जो अपने कार्ड में दहेज मुक्त शादी छपवाएगा उसी की शादी में मैं जाऊंगा. लगभग नीतीश किसी भी शादी समारोह में जाना छोड़ चुके थे, लेकिन पिछले तीन महीने में वे कई शादी समारोह में सम्मिलित हुए. लोगों से मिलने जुलने लगे. छोटे हो बड़े या पत्रकार सभी से मुस्कुरा कर बातें करने लगे हैं. पारंपरिक शिष्टाचार के साथ लोगों से पेश आने लगे हैं.


क्या बीजेपी के साथ रहकर घुटन महसूस करते थे


अब सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीजेपी के साथ रहकर घुटन महसूस कर रहे थे? वो अपने मुंह से कुछ बोल नहीं रहे थे, लेकिन हंसी मुस्कान खत्म हो गई थी. अभी जिस तरह से मुख्यमंत्री में बदलाव आया है उससे ऐसा लग रहा है कि अब वे आजाद महसूस कर रहे हैं. अभी के नीतीश कुमार की चाल और व्यवहार में बदलाव साफ दिख रहा है. साल 2020 के चुनाव के बाद कम सीटें आने से मुख्यमंत्री बीजेपी के साथ तो रहे लेकिन वह खुश नहीं थे. अब सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री बीजेपी और बिहार की जनता को यह संकेत दे रहे कि हम महागठबंधन के साथ बहुत खुश हैं.


बीजेपी का रिएक्शन


इधर, उनके इस शिष्टाचार पर आरजेडी, बीजेपी, एलजेपी और कांग्रेस ने भी अपना रिएक्शन दिया है. बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि महागठबंधन में सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार के आचार व्यवहार में और भाषण देने के तरीके में भारी बदलाव आया है. ये आश्चर्य की बात है कि वह सबके आगे पैर पकड़ने के लिए झुकते हैं. मंत्री से लेकर विधायक और छोटे से बड़े लोगों के पैर छूने के लिए तैयार रहते हैं. वो खोए खोए से नजर आ रहे. कहा कि आरजेडी का उनपर खास दबाव है जिसके कारण वह हैरान परेशान हैं और इस तरह की हरकत कर रहे.


‘नीतीश कुमार समाजवादी नेता हैं’


आरजेडी के मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि नीतीश कुमार समाजवादी है. इनमें सत्ता का अहंकार नहीं है. जो तानाशाही व्यवहार प्रधानमंत्री और बीजेपी के नेताओं का है वो व्यवहार नीतीश कुमार के अंदर कभी नहीं आया. वह बीजेपी के साथ दबाव में थे. अब देश के विकास में भागीदार बनने के लिए संकल्प लिया है. नीतीश कुमार के झुकने का मतलब है कि ये उनकी महानता और उदारता है.


‘बीजेपी के दबाव में थे मुख्यमंत्री’


एलजेपी के प्रवक्ता विनीत सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार के पापों का घड़ा भर चुका है. यही कारण है कि वह झूठा शिष्टाचार कर रहे. ये दिखावा कर रहे हैं. वो चाहते हैं कि बिहार की जनता माफ कर दे, लेकिन इससे माफ नहीं किया जाएगा. वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता असित ने कहा कि बीजेपी की ओर से दबाव बनाया जा रहा था जिसके कारण वह कुछ कार्य नहीं कर पा रहे थे. अब वह दबाव मुक्त हैं और बेहतर कामों के लिए कार्य कर रहे.


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