पटना: बिहार में कोरोना टेस्ट के डेटा में किए गए कथित फर्जीवाड़े पर विवाद जारी है. विपक्ष लगातार सीएम नीतीश और स्वास्थ्य विभाग को इस मुद्दे पर घेर रही है. आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने शुक्रवार को राजयसभा में ये मुद्दा उठाया था और जांच की मांग की थी. ऐसे में अब आरजेडी को सांसद को सीएम नीतीश ने जवाब दिया है. उन्होंने कहा, " आज पार्लियामेंट में किसी ने ये मुद्दा उठाया था. ऐसे में जांच की पूरी रिपोर्ट पार्लियामेंट भेज दी गई है."
दोषियों पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी
दिल्ली दौरे से वापस लौटे सीएम नीतीश ने कहा कि जब मैं दिल्ली से रवाना हुआ था तब मुझे इस संबंध में जानकारी मिली थी. मैंने तत्काल इस संबंध में विभाग के प्रधान सचिव से जानकारी ली. उन्होंने बताया है कि पूरी जांच कर ली गयी है और अभी तक 22 जिलों के डेटा को देख लिया गया है. एक जगह ऐसा कुछ देखा गया है, तो उसपर तत्काल कार्रवाई की जा रही है.
उन्होंने कहा कि जिस अखबार में खबर आई थी, उस अखबार के पत्रकार से भी प्रधान सचिव की बातचीत हुई है और पूरे लोग इसमें लगे हैं. यहां से पूरी रिपोर्ट पार्लियामेंट भेज दी गयी है क्योंकि वहां भी किसी ने इस मामले को उठाया था. आज 12 बजे ही इसकी रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को भी भेज दी गयी है.
जांच में नहीं की गई है गड़बड़ी
सीएम नीतीश ने कहा कि रोजाना कोरोना जांच संबंधित जानकारी मेरे पास आती है. सभी डिटेल शुरू से हमारे पास हैं. ऐसी कोई बात नहीं है कि किसी की जांच नहीं हुई और रिपोर्ट लिख दिया गया कि जांच हुई है. अगर ये हुआ है तो गलत हुआ है और ऐसे लोगों पर कार्रवाई होगी. अभी फिलहाल विभाग के प्रधान सचिव पूरे मामले की जांच कर रहे हैं. जांच के बाद विस्तृत जानकारी दी जाएगी.
उन्होंने कहा कि हमें डिटेल में आज जानकारी मिली है और हमने निर्देश दिया है कि इसे मामले को पूरी गंभीरता से लिया जाए. लेकिन जांच यहां बहुत अच्छा हुआ है और अबतक जो फिगर है, दस लाख की आबादी पर जो औसतन जांच होती है, उससे 22 हजार अधिक जांच बिहार में हुआ है. लेकिन अगर कही गलत हुआ है, तो कार्रवाई होगी. कल इसपर और डिटेल में चर्चा होगी.
क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि बिहार सरकार पर कोरोना काल में फर्जी नाम और नम्बर दर्ज कर कोविड टेस्ट की संख्या बढ़ाने का आरोप लगा है. दरसअल, इंडियन एक्सप्रेस ने बिहार के जमुई, शेखपुरा और पटना के छह पीएचसी में कोविड टेस्ट के 885 एंट्री की जांच की है. इस दौरान खुलासा हुआ कि जिन लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई है, उनमें से अधिकतर मरीजों का मोबाइल नंबर गलत लिखा गया है. इन सरकारी अस्पतालों से ये डेटा जिला मुख्यालय पटना भेजा जाता है.
जिला मुख्यालय में डेटा एंट्री स्टाफ ने जमीनी स्तर पर काम करने वाले पीएचसी के कर्मचारियों को दोषी ठहराया है. उन्होंने दावा किया कि सिस्टम में डेटा अपलोड करते समय 10 अंकों का मोबाइल नंबर लिखना अनिवार्य होता है. पीएचसी के कर्मचारी एंट्री सब्मिट करने के लिए मोबाइल नंबर के कॉलम में 10 जीरों भर देते हैं.
स्वास्थ्य विभाग ने सात कर्मियों को किया निलंबित
फिलहाल इस मामले में स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई करते हुए विभाग के 7 कर्मियों को निलंबित कर दिया है. इस संबंध में जानकारी देते हुए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि जमुई के सिविल सर्जन समेत 7 पदाधिकारियों पर कार्रवाई की गई है. इन सभी को कोरोना जांच में लापरवाही बरतने के आरोप में सस्पेंड किया गया है. साथ ही पूरे बिहार में कोविड टेस्ट से जुड़ी गड़बड़ियों की जांच के लिए विशेष टीम भी बनाई गई है,जो अलग-अलग जिलों में जा कर जांच कर रही है. उन्होंने कहा कि जिन्होंने ने भी गड़बड़ी की होगी उनके छोड़ा नहीं जाएगा, सभी लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
यह भी पढ़ें -
बिहार में प्रशांत किशोर के घर पर चला प्रशासन का बुलडोज़र
तेज प्रताप यादव का नया अवतार आया सामने, रैंपवॉक करते आए नजर