सदन में बोले सीएम नीतीश- बिहार विधानसभा में कभी नहीं देखा गया ऐसा दृश्य, आश्चर्यचकित हूं
सीएम नीतीश ने कहा कि अगर कोई क्राइम कर रहा है, तो क्या करेंगे? क्या कोर्ट के परमिशन का इंतजार किया जाएगा? क्या पुलिस के पास ये अधिकार नहीं होना चाहिए वो उसे तुरंत हिरासत में ले और उसकी तलाशी ले, पूछताछ करे.
पटना: बिहार विधानसभा में मंगलवार को जो हुआ वो बिहार के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ था. विरोध करने की वजह से जिस तरह से विपक्ष के विधायकों के साथ बदसलूकी की गई, इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं थी. हालांकि विरोध और विवाद के बीच बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 पेश किया गया और उसे बिहार विधानसभा में पारित भी करा लिया गया.
बिल पास होने से पहले सीएम नीतीश ने सदन को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि आज तक विधानसभा में ऐसा दृश्य कभी नहीं देखा गया. सदन में सिर्फ विरोध हो रहा, कोई कुछ कह नहीं रहा. बोधगया में महाबोधि मंदिर के पास 2013 में किस तरह की घटना हुई. हमने अगले ही दिन जाकर देखा और बाउंड्री बनवाई गयी. इसके बाद एक-एक काम किया गया. बीएमपी को बोधगया मंदिर और दरभंगा एयरपोर्ट की सुरक्षा में लगाया गया.
सीएम नीतीश ने कहा कि अगर कोई क्राइम कर रहा है, तो क्या करेंगे? क्या कोर्ट के परमिशन का इंतजार किया जाएगा? क्या पुलिस के पास ये अधिकार नहीं होना चाहिए वो उसे तुरंत हिरासत में ले और उसकी तलाशी ले, पूछताछ करे. ये क्या बात हुई कि कोर्ट से परमिशन लेंगे तब गिरफ्तार करेंगे.
उन्होंने कहा कि हमने विधेयक को लेकर साढ़े तीन घंटे तक बात की. हमने अधिकारियों से कहा, " कहीं आपके बीच का ही कोई विरोध तो नहीं कर रहा. अगर कोई कहीं अपराध कर रहा, तो क्या पकड़ेंगे नहीं. सामान्य पुलिस से ज्यादा कार्रवाई की बात विधेयक में कही गयी, अगर कोई दुरुपयोग करेगा, तो बचेगा नहीं."
विपक्ष के हंगामे पर उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष चर्चा में भाग लेती, तो सब सवालों का जवाब दिया जाता. अधिकारियों ने गलती की, प्रेस के साथ पूरी बात की चर्चा करनी चाहिए थी. जिस दिन से पेश हुआ, विरोध शुरू किया गया. खड़े होकर क्या-क्या करवाया गया. नए विधायकों को ट्रेनिंग देनी चाहिए. सशस्त्र बल को अधिकार दिया जा रहा है, इसकी भी लिमिट है.
सीएम नीतीश ने कहा कि राजनीति करने वाले दल अपने हिसाब से फैसला लेंगे. नए विधायक क्या-क्या कर रहे थे. डिबेट में भाग लेते और सवाल खड़े करते, तो हम जवाब देते. मैं आश्चर्यचकित हूं, इसके बारे इतनी गलत फहमी है. दूसरे राज्यों में जो कानून है, यहां भी वैसा ही है. अपनी बात बुलन्दी से कहनी चाहिए थी, अगर नहीं सुनना चाहते थे, तो चले जाते. ये ऐसा कानून नहीं जो लोगों को कष्ट देगा, ये लोगों की रक्षा करनेवाला है.