पटना: सोशल मीडिया यानी फेसबुक, टि्वटर, व्हाट्सएप, टेलीग्राम पर बिहार सरकार के किसी मंत्री, सांसद, विधायक या सरकारी अफसरों के खिलाफ आपत्तिजनक या अभद्र टिप्पणी करने पर अब कानूनी कार्यवाही होगी. इतना ही नहीं झूठ या भ्रम फैलाने वाले पोस्ट करने वाले लोगों पर समूह और संस्था की कार्यवाही की जांच दायरे में आएगी.
आर्थिक अपराध इकाई यानी ईओयू ने बिहार सरकार के सभी विभागों के प्रधान सचिव और सचिव को पत्र लिखकर ऐसे किसी पोस्ट की शिकायत करने को कहा है. सोशल मीडिया पर गलत तरीके से सरकार या सरकार से जुड़े किसी भी व्यक्ति या कर्मचारी के खिलाफ अगर किसी ने गलत टिपण्णी की तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
बिहार सरकार की ओर से जारी नए फरमान के मुताबिक प्रतिष्ठा हनन या छवि धूमिल करने के आरोप में ऐसा करने वाले लोगों के विरूद्ध आईटी एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाएगा और जांच की जाएगी. साइबर क्राइम की रोकथाम के लिए राज्य में ईओयू को नोडल एजेंसी बनाया गया है. साइबर क्राइम से जुड़े मामलों की जांच में वह स्थानीय पुलिस को भी सहयोग देती है. चूंकि भ्रामक या आपत्तिजनक पोस्ट साइबर क्राइम की श्रेणी में आएगा, लिहाजा ईओयू की ओर से यह पत्र लिखा गया है.
सोशल मीडिया पर किसी व्यक्ति या संस्थान के साथ सरकार की प्रतिष्ठा का हनन होता है या किसी की छवि धूमिल होती है, तो इसके लिए ऐसा करने वाले लोग खुद जवाबदेही होंगे और उनके खिलाफ अब कड़ा एक्शन लिया जायेगा. बिहार सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आपत्तिजनक या तथ्यहीन पोस्ट करने पर अब कार्रवाई होगी.
माननीयों के साथ किसी सरकारी अधिकारी-कर्मचारी या अन्य व्यक्ति की प्रतिष्ठा का हनन या छवि धूमिल करने के लिए सोशल मीडिया पर किए जानेवाले आपत्तिजनक, भ्रामक या अभद्र टिप्पणी की शिकायत मिलती है तो नियमानुसार कानूनी कार्रवाई की जाएगी.