Bihar Politics: बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार ने एक बार फिर से खेला कर दिया है. बीजेपी को बड़ा झटका देते हुए उन्होंने महागठबंधन की सरकार बना ली है. नई सरकार में  नीतीश कुमार सीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को डिप्टी सीएम चुना गया है. हालांकि अभी बिहार के नए मंत्रिमंडल की तस्वीर साफ नहीं हुई है. फिलहाल तो महागठबंधन में सब कुछ सही चल रहा है लेकिन माना जा रहा है कि मंत्री पद को लेकर घटक दलों में कुछ अनबन देखने को मिल सकती है. 


कांग्रेस ने की चार मंत्रालयों की मांग
बिहार विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता और अजीत शर्मा ने नए मंत्रिमंडल के बंटवारे से पहले बड़ी बात कही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को कम से कम 4 मंत्रालय मिलने चाहिए. हालांकि उन्होंने बाद में यह भी जोड़ा कि इस मामले में आखिरी फैसला सोनिया और राहुल गांधी का माना जाएगा. अजीत शर्मा ने यह भी कहा कि इसको लेकर हमारी कोई मांग नहीं है. हमारा उद्देश्य केवल बिहार का विकास करना है. उन्होंने आगे कहा कि मंत्रिमंडल में गृहमंत्रालय महत्वपूर्ण है, लेकिन यह किसको मिलेगा यह आज (गुरुवार) शाम तक फाइनल होगा. 


बिहार के विकास के लिए काम करेगी गठबंधन की सरकार
कांग्रेस नेता ने कहा कि बिहार की राजनीति में एक बार फिर से महागठबंधन की वापसी हुई है और मैं यकीन दिलाता हूं कि गठबंधन की यह सरकार बिहार के उत्थान के लिए काम करेगी. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से बिहार में विकास का कोई काम नहीं हुआ. बीजेपी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पूरे देश में जिस तरह से लोकतंत्र को खत्म करने और संविधान को तोड़ने की साजिश हो रही है उसे देश की जनता देख रही है और जनता इसका सही समय पर जवाब देगी.


नीतीश कुमार के फैसले का स्वागत करता हूं
अजीत शर्मा ने कहा कि बिहार सहित पूरे देश में महंगाई चरम पर पहुंच रही थी और सरकार इसको काबू करने में नाकाम रही. नीतीश कुमार ने इसे देखा और हमें सरकार बनाने का ऑफर दिया मैं इसके लिए उन्हें बधाई देता हूं.


इससे पहले मांझी भी कर चुके हैं मांग
बता दें कि इससे पहले हम पार्टी के नेता जीतनराम मांझी भी अपनी पार्टी के लिए 2 मंत्रालयों की मांग कर चुके हैं. अब देखने वाले बात ये होगी कि बदले समीकरणों के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहयोगी दलों के बीच कैसे सामजस्य बैठाते हैं.


क्या कहता है नियम 
किसी भी सरकार में कितने मंत्री होंगे इसका एक तय नियम है. विधानसभा में जितने निर्वाचित सदस्य हैं उनकी कुल संख्या से 15 फीसदी से ज्यादा सदस्य नहीं बनाए जा सकते हैं.


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