हाजीपुरः कोरोना संकट में भी जनप्रतिनिधि अपनी हनक दिखाने से बाज नहीं आ रहे हैं. मामला वैशाली जिले के राजापाकर का है. यहां शनिवार को कांग्रेस की विधायक प्रतिमा दास एक अस्पताल में मरीजों का हाल लेने के लिए पहुंचीं थीं, इस दौरान अस्पताल में मौजूद चिकित्सक से कुर्सी पर बैठने को लेकर उलझ गईं.
अस्पताल के डॉक्टर ने कुर्सी देने से किया मना
बताया जाता है कि प्रतिमा दास अपने क्षेत्र के एक अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल जानने के लिए पहुंचीं थीं. यहां आने के बाद वह सीधे अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर के चैंबर में गईं और प्रभारी को कुर्सी छोड़ने के लिए कहा. प्रतिमा दास ने सामने की कुर्सी पर बैठने से इनकार कर दिया. ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर को प्रोटोकॉल समझाने लगीं. वहीं, दूसरी ओर अस्पताल में तैनात डॉक्टर ने भी अपनी कुर्सी देने से साफ मना कर दिया.
इसके कुछ देर के बाद वे डॉक्टर के बगल की कुर्सी पर बैठीं और मरीजों का हाल और स्वास्थ्य व्यवस्था के बारे में बातचीत की. इस कुर्सी को लेकर हुए विवाद पर कांग्रेस की विधायक प्रतिमा दास ने कहा कि डॉक्टर ने कुर्सी नहीं देकर उनकी बेईज्जती और प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है. उन्होंने कहा कि सरकार का क्या नियम है क्या कानून है कि विपक्षी को प्रतिनिधि मानने को तैयार नहीं है.
‘पहले भी कांग्रेस जिम्मेदार और आज भी वही’
प्रतिमा दास ने कहा कि सरकार में जब कांग्रेस थी तब भी कांग्रेस किसी चीज के लिए जिम्मेदार थी और आज नहीं है तो भी कांग्रेस ही जिम्मेदार है. समस्या का समाधान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करें क्योंकि उन्हीं के नेतृत्व में बिहार चल रहा है. जब तक वह नहीं कहेंगे प्रतिनिधियों का मान सम्मान नहीं होगा.
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