दरभंगा: नेपाल में भारी बारिश से बागमती नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. बागमती नदी का रौद्र रूप दरभंगा जिले के केवटी प्रखंड में देखने को मिल रहा है. इस प्रखंड के वाजिदपुर और टेक्टार गांव के बीच से बागमती नदी गुजरती है. नदी के ऊपर स्थायी पुल की मांग ग्रामीण 20 साल से कर रहे हैं, लेकिन अब तक नहीं बना. चंदा इकट्ठा करके लोग चचरी का पुल हर साल बनाते हैं. उसी पुल पर से चढ़कर आते-जाते हैं. हर साल की तरह इस बार भी बागमती नदी उफान पर है और चचरी का पुल नदी में बह गया है. इससे करीब 20 गांव प्रभावित हुए हैं. अब ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर नाव खरीदा है.


नाव पर चढ़कर ग्रामीण वाजिदपुर से टेक्टार व अन्य गांवों में आते-जाते हैं. उस पार से भी ग्रामीण इस पार आते हैं. नदी की गहराई करीब 50 फीट है. यहां बड़ा हादसा कभी भी हो सकता है. नदी में नाव पटल सकता है, क्योंकि नाव पर काफी संख्या में स्कूली बच्चे, युवा, बुजुर्ग, महिलाएं आती जाती हैं. एक बार में ही काफी लोग नाव पर सवार हो जाते हैं. नाव काफी छोटी है. नदी का जलस्तर भी बढ़ा हुआ है और बारिश होगी तो नदी का पानी वाजिदपुर, टेक्टार व अन्य गांव में घुस सकता है, लेकिन प्रशासन ने कोई इंतजाम अब तक नहीं किया है. नदी किनारे न यहां बल्ला न बांस पाइलिंग हुआ है. न नदी किनारे जिओ बैग (बोरियों में बालू भरकर) रखा गया है.


20 सालों से बागमती नदी पर स्थाई पुल की मांग कर रहे ग्रामीण


वाजिदपुर-टेक्टार गांव के लोगों ने कहा कि हम लोग 20 सालों से बागमती नदी पर स्थाई पुल की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक मांग पूरा नहीं हुई है. पैसा मांग मांग कर हम लोग चचरी पुल बनाए, लेकिन नदी में पुल बह गया. चंदा मांगकर हम लोग नाव खरीदे हैं. नाव से आते जाते हैं. काम करने जाना रहता है. सबको समय पर पहुंचना रहता है. बच्चों को स्कूल समय पर जाना रहता है. महिलाएं बाजार जाती हैं. इसलिए एक बार में ही कई लोग नाव पर सवार हो जाते हैं. हम लोग जान जोखिम में डालकर नाव से आते जाते हैं. चचरी पुल अभी तो नदी में बह गया, लेकिन चचरी पुल जब था तब भी हम लोग जान जोखिम में डालकर उसपर से आते जाते थे.


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चुनाव में सिर्फ वोट मांगने आते हैं नेता


लोगों ने कहा कि चुनाव में नेता वोट मांगने आते हैं. वादा करते हैं कि वोट दीजियेगा तो पुल बनवा देंगे. हम लोग वोट दे देते हैं. विधायक, सांसद को जीता देते हैं, लेकिन उसके बाद भी पुल नहीं बनता. न कोई अधिकारी हम लोग की सुनते हैं. बता दें ABP की टीम भी नाव पर सवार होकर टेक्टार से वाजिदपुर आई. नदी की तेज धारा से नाव काफी हिल रही थी. नाव टूटी भी है. इन गांवों को आपस में जोड़ती एक पक्की सड़क है, लेकिन उसके लिए 20 किलोमीटर से ज्यादा घूमकर जाना पड़ता है.


कटाव रोकने की आधी अधूरी तैयारी


वाजिदपुर, टेक्टार व आस-पास के गांव में बाढ़ के खतरे को देखते हुए अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है. वहीं, दूसरी तरफ केवटी प्रखंड के पिंड़ारुच गांव में बागमती नदी के किनारे कटाव रोकने के लिए आधी अधूरी तैयारी की गई है. बांस पाइलिंग किया जा रहा है. ईसी बैग (सीमेंट की खाली बोरियों में मिट्टी, ईंट भरकर नदी किनारे रखा जा रहा है, ताकि कटाव रुक जाए व नदी का पानी गांव में न आए. लेकिन, तैयारी अब तक पूरी नहीं हुई. बाढ़ कभी भी आ सकता है. कटाव के कारण आधी सड़क टूटकर नदी में विलीन हो गई है. सड़क जहां से टूटी है वहां ईसी बैग रख दिया गया है. नदी में पेड़ गिरे पड़े रहते हैं और कटाव लगातार जारी है.


50 मीटर तक रखे गए ईसी बैग


जल संसाधन विभाग के कनीय अभियंता दिलीप मिश्रा ने पिंड़ारुच गांव में संभावित बाढ़ के खतरे को देखते हुए हो रहे कामकाज पर कहा कि 75 मीटर तक में बांस पाइलिंग कराया गया. 50 मीटर तक में ईसी बैग नदी किनारे रखे गए हैं. नदी की धारा तेज है. उसको रोकने के लिए व कटाव रोकने के लिए यह सब कराया जा रहा है. कटाव के कारण सड़क नदी में बह गया, इसलिए वहां ईसी बैग रख दिया गया है. कोशिश है कि इस गांव में बाढ़ का पानी न आए. वहीं, वाजिदपुर-टेक्टार व आस पास के गांव में बाढ़ के खतरे को देखते हुए कोई काम क्यों नहीं हो रहा है इसपर वह कोई जवाब नहीं दे पाए. कहा कि काम चल रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि वहां कोई काम नहीं हो रहा है.


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