दरभंगा: शादी के सात फेरे लेते समय जिंदगी भर का साथ निभाने का वादा तो सभी करते हैं, पर कोई ही इसे अपनी आखरी सांस तक निभा पाता है. कुछ ऐसे भी होते हैं जो अग्नि को साक्षी मानकर किए अपने वादे को आखिरी दम तक निभाते हैं. ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है, जहां एक पति-पत्नी के साथ जीने-मरने के वादे को मौत भी जुदा नहीं कर सकी. पति की मौत के आठ घंटे के भीतर उनकी पत्नी ने भी अंतिम सांस ली, जिसके बाद दोनों का अंतिम संस्कार एक साथ एक ही चिता पर कर दिया गया. लोगों को साक्षात् एक ऐसा नजारा देखने को मिला, जो आमतौर पर फिल्मों में ही देखने को मिलता है.


दरअसल, दरभंगा जिले के तारडीह प्रखंड के कुर्सो मछैता पंचायत के मछैता पचही टोले के निवासी 63 वर्षीय सुधीर झा बीमार थे. मरने से तीन दिन पहले तबीयत बिगड़ने पर उन्हें पटना में इलाज के लिए लाया गया, जहां रविवार को इलाज के दौरान पटना में ही उनका निधन हो गया. पटना से शव लेकर उनकी पत्नी निर्मला देवी एवं छोटे पुत्र कुंदन झा गांव आए. उनका बड़ा पुत्र शाम में चार बजे मुंबई से गांव आया. बड़े बेटे के आने के बाद निर्मला देवी ने भी अंतिम सांस ली. इसके बाद परिवार में कोहराम मच गया.


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दोनों की अलग-अलग निकाली गई अर्थी


इसके बाद सोमवार को दोनों की अलग-अलग अर्थियां सजाई गई और अलग-अलग घर से निकाली गई, पर दोनों का अंतिम संस्कार एक ही चिता पर किया गया. बड़े बेटे ने उन्हें मुखाग्नि दी. एक पति-पत्नी के अमर प्रेम के इस जीवंत उदाहरण को देखकर लोगों में इसकी चर्चा शुरू हो गई है. दोनों की अर्थी एक साथ उठी तो सभी की आंखें नम हो गई. साथ जीने-मरने की कसम को सार्थक कर देने वाला पति जिस आंगन में पत्नी को अपने साथ लाया था, उसी आंगन से दोनों की अर्थी भी एक साथ उठी.


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