(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
समय पर विधानसभा चुनाव कराने के लिए किया जा रहा है आंकड़ों से खिलवाड़- प्रेमचंद मिश्रा
कांग्रेस एमएलसी प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि संक्रमित मरीजों की संख्या और मृतकों की संख्या कम कर बताना बिहार के लोगों के साथ एक धोखा है, जिसका भारी नुकसान आम लोगों को आने वाले दिनों में होगा और इसकी सारी जिम्मेदारी सरकार को लेनी होगी.
पटना: कोरोना महामारी को लेकर सूबे में राजनीति जारी है. इसी क्रम में कांग्रेस ने शुक्रवार को राज्य में कोरोना जांच और कोरोना मरीज की संख्या को लेकर राज्य सरकार पर बड़ा हमला बोला है. कांग्रेस ने सरकार पर आंकड़ों के साथ हेर-फेर करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस एमएलसी प्रेमचंद मिश्रा ने कहा, " यह एक खतरनाक खेल है, जो चुनाव को समय पर कराने के लिए रचा जा रहा है. सरकार की ओर से कोरोना की जांच की संख्या को बढ़ाने का दावा और संक्रमित मरीजों की संख्या को कम बताना, एक तरह की सरकारी बाजीगिरी है, जो आम लोगों के लिए खतरनाक साबित होगा."
उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे और विभागीय प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत से पूछा कि जब 15 दिन पहले तक प्रतिदिन औसत से 8 से 10 हजार लोगों की जांच होती थी, तो संक्रमित मरीजों की संख्या प्रतिदिन 3 हजार के आसपास बताई जाती थी और अब जब जांच की रफ्तार को सरकार कथित तौर पर प्रतिदिन 1 लाख तक पहुंचाने का दावा कर रही है, तब ये कैसे संभव है कि संक्रमित मरीजों की संख्या मात्र 4 हजार के आसपास ही प्रतिदिन रहेगी, जैसा कि लगातार 10-15 दिनों से बताया जा रहा है.
उन्होंने कहा, " ये तब से हो रहा है जब से विभाग के प्रधान सचिव के तौर पर प्रत्यय अमृत ने कार्यभार संभाला और सुनियोजित तरीके से जांच की संख्या को दस दिनों के अंदर ही एक लाख तक पहुंचाने का काम किया. लेकिन उस अनुपात में संक्रमितों की संख्या को 4 हजार पर फिक्स कर देना कई सवाल और संदेह खड़े करते हैं. कांग्रेस की नजर में यह आंकड़ेबाजी की बाजीगिरी मात्र चुनाव आयोग को भरमाने और यह बतलाने की कोशिश है कि कोरोना को बिहार ने नियंत्रित कर लिया है. तभी तो जांच बढ़कर 1 लाख हो गयी है, लेकिन उस अनुपात में मरीजों की संख्या नहीं बढ़ रही.
उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों के कार्यभार को संभाल रहे ओवर लोडेड प्रत्यय अमृत को स्वास्थ्य विभाग की भी जिम्मेदारी देने का मकसद अब सामने आने लगा है. लेकिन कोरोना जांच रिपोर्ट में घाल मेल करना और चुनाव समय पर हो जाए के लक्ष्य से संक्रमित मरीजों की संख्या को कम कर बताना एक आपराधिक लापरवाही के समान है.
प्रेमचंद ने कहा कि संक्रमित मरीजों की संख्या और मृतकों की संख्या कम कर बताना बिहार के लोगों के साथ एक धोखा है, जिसका भारी नुकसान आम लोगों को आने वाले दिनों में होगा और इसकी सारी जिम्मेदारी सरकार को लेनी होगी. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार मृतकों की संख्या को भी कम कर बताने का काम कर रही है क्योंकि जो आंकड़े सरकारी विज्ञप्तियों में आते हैं उनमें निजी अस्पतालों और क्लीनिकों में कोरोना से हो रही मौत का उल्लेख ही नहीं होता.
उन्होंने बताया कि स्थानीय बांस घाट पर कोरोना मृतकों के दाहसंस्कार में भी बड़ा घाल मेल है. वहां जाने पर अनिवार्य रूप से सरकार द्वारा निर्धारित रेट से 15 हजार रुपये का खर्च करना पड़ता है. परिजनों और दाह संस्कार कर्मी एक ही पीपीई किट का बार-बार इस्तेमाल करना पड़ता है. बंद पड़े विद्युत शवदाह गृह की वजह से भी लोगों को अनेकों परेशानी का सामना और ज्यादा खर्च भी करना पड़ता है.
प्रेमचंद ने मुख्यमंत्री से पूछा कि क्या वे इस संबंध में राज्य की जनता को बतायेंगे कि जांच एक लाख के पार लेकिन संक्रमित मरीजों की संख्या प्रतिदिन 4 हज़ार के निकट फिक्स हो जाने का माजरा क्या है? क्योंकि यह आंकड़ा किसी के भी गले के नीचे नहीं उतर रहा.