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दारोगा की मौत के बाद शव दफनाने को लेकर ग्रामीणों ने जमकर काटा बवाल
बिहार में कैमूर में कोरोना से दारोगा की मौत. मौत के बाद शव दफनाने को लेकर हुआ विवाद. ग्रामीणों ने घंटो बात विवाद के बाद स्वास्थ्यकर्मियों को खदेड़ा.
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कैमूर: जिले के भभुआ थाना में पदस्थापित दारोगा की मोहनिया स्थित घर में शुक्रवार को कोरोना संक्रमण से मौत हो गई. दारोगा के मौत की सूचना मिलते ही सिटी एसपी दिलनवाज अहमद पीड़ित परिवार से मिलने के पहुंचे. इस दौरान उन्होंने मृतक दारोगा के परिजनों को शव दफनाने से लेकर सारी सुविधाएं मिलने का आश्वासन दिया. लेकिन जब शव दफनाने के लिए स्वास्थ्य कर्मी मोहनिया प्रखंड के रतवारा नदी पर पहुंचे तो उन्हें ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करना पड़ा.
ग्रामीण हाथों में लाठी-डंडे लेकर नदी के पास शव दफनाने से मना करने लगे. इधर, ग्रामीणों से विवाद होता सुन मोहनिया सर्किल इंस्पेक्टर भी जुगाड़ टेक्नोलॉजी से मौके पर पहुंचे. उनके चेहरे पर मास्क तो दिखा लेकिन अपने बालों को बचाने के लिए वो पॉलिथीन लगाए दिखें. उन्होंने मामले को सुलझाने की कोशिश की लेकिन दो घंटों के बात-विवाद के बाद ग्रामीणों ने स्वास्थ्यकर्मियों को शव के साथ खदेड़ दिया.
बता दें कि मृतक दारोगा डेढ़ महीने में रिटायर होने वाले थे. सांस लेने में परेशानी और सर्दी बुखार की शिकायत के बाद उनके बेटे ने उनका अनुमंडल अस्पताल मोहनिया में कोरोना जांच कराया था. तिन दिन पहले इनकी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. वहीं आज उनकी मौत हो गई. मृतक दारोगा के बेटे ने बताया कि "कोरोना काल में मेरे पापा ने जनता की बहुत ज्यादा सेवा की, लेकिन उनके मरने के बाद मेरे ही गांव के ग्रामीणों ने उनको दफनाने भी नहीं दिया. मैं भी विकलांग हूं, काफी परेशानी हो रही है."
मोहनिया सर्किल इंस्पेक्टर ने बताया कि " शव दफनाने का ग्रामीण विरोध कर रहे हैं. हम लोग वरीय पदाधिकारियों से बात कर मार्गदर्शन ले रहे हैं." वहीं कैमूर एसपी दिलनवाज अहमद बताते हैं कि "कैमूर पुलिस जान हथेली पर रखकर कोरोना काल में सब की सेवा कर रही है. कब किसकी मौत हो जाए कहा नहीं जा सकता. फिर भी हम लोग नर्वस नहीं हैं, सेवा करने के लिए तैयार हैं."
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अनिल चमड़ियावरिष्ठ पत्रकार
Opinion: 'आस्था, भावुकता और चेतना शून्य...', आखिर भारत में ही क्यों होती सबसे ज्यादा भगदड़ की घटनाएं
Opinion