पटना: रेलवे में नौकरी के बदले जमीन मामला में दिल्ली की एक अदालत ने बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनकी दो बेटियों को जमानत दी. आरोपियों को 9 फरवरी को मिली उनकी अंतरिम जमानत की अवधि समाप्त होने पर राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विशाल गोग्ने के समक्ष पेश किया गया था. कोर्ट ने 27 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के पहले आरोपपत्र पर संज्ञान लिया था. न्यायाधीश गोगने ने बुधवार को उन्हें और सह-अभियुक्त हृदयानंद चौधरी को यह कहते हुए जमानत दे दी कि जांच के दौरान उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया था और आरोपियों के कानून से भागने का कोई संदेह नहीं है.


जमानत राशि भरने पर राहत दी


वित्तीय जांच एजेंसी की ओर से पेश स्नेहल शारदा और विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) मनीष जैन ने कहा कि यदि जमानत दी जाती है, तो आरोपों की गंभीरता को देखते हुए कड़ी शर्तें लगाई जा सकती हैं. हालांकि, अदालत ने उन्हें एक लाख रुपये के जमानत बांड और इतनी ही जमानत राशि भरने पर राहत दी. अदालत ने 5 फरवरी को पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद के परिवार के कथित करीबी सहयोगी अमित कात्याल को चिकित्सा आधार पर 4 मार्च तक अंतरिम जमानत दे दी थी, जिनका आरोपपत्र में कुछ कंपनियों के साथ नाम भी है.


कात्याल को किया था गिरफ्तार


एके इंफोसिस्टम्स के प्रमोटर कात्याल को केंद्रीय जांच एजेंसी ने पिछले साल नवंबर में गिरफ्तार किया था. अदालत ने हाल ही में आरोपपत्र के साथ दायर दस्तावेज मुहैया कराने की लालू प्रसाद यादव, उनके बेटे और पत्नी द्वारा दायर एक आवेदन पर सीबीआई से जवाब मांगा. अदालत ने आठ आरोपियों की याचिका पर सीबीआई से जवाब दाखिल करने को कहा था. पिछले साल 3 अक्टूबर को कोर्ट ने इस मामले में लालू प्रसाद, बेटे और पत्नी को जमानत दे दी थी.


इन पर है आरोप पत्र 


अदालत ने 22 सितंबर 2023 को लालू प्रसाद और उनके बेटे और पत्नी सहित अन्य के खिलाफ सीबीआई द्वारा एक नए आरोप पत्र पर संज्ञान लिया. चूंकि जांच एजेंसी ने जमानत का विरोध नहीं किया, इसलिए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने जमानत दे दी. ईडी ने पहले कहा था कि उसने मामले में उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत लालू प्रसाद के परिवार-उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटी मीसा भारती और संबंधित कंपनियों की छह करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त कर ली है. 


लालू परिवार के खिलाफ दर्ज है मामला


सीबीआई ने 18 मई 2022 को लालू प्रसाद और उनकी पत्नी, दो बेटियों और अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों सहित 15 अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था. सीबीआई के एक अधिकारी ने पहले कहा था, '2004-2009 की अवधि के दौरान लालू प्रसाद यादव (तत्कालीन रेल मंत्री) ने रेलवे के विभिन्न जोन में समूह 'डी' पदों पर प्रतिस्थापन की नियुक्ति के बदले अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर भूमि संपत्ति के हस्तांतरण के रूप में आर्थिक लाभ प्राप्त किया था'
 
ये भी है आरोप


पटना के कई निवासियों ने स्वयं या अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से अपनी जमीन लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों और उनके तथा उनके परिवार द्वारा नियंत्रित एक निजी कंपनी को बेच दी या उपहार में दे दी. आरोप है कि जोनल रेलवे में स्थानापन्नों की ऐसी नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या कोई सार्वजनिक सूचना जारी नहीं की गई थी, फिर भी नियुक्त व्यक्ति, जो पटना के निवासी थे, को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में स्थित विभिन्न जोनल रेलवे में स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था.


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