पटना: बिहार में जनसंख्या नियंत्रण कानून पर बयानबाजी जारी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया पर जिस तरह से उपमुख्यमंत्री रेणु देवी और बीजेपी के अन्य नेताओं ने रिएक्शन दिया, उसने नए विवाद को जन्म दे दिया था. रेणु देवी का ये कहना कि महिलाओं से ज्यादा पुरुष का शिक्षित होना जनसंख्या नियंत्रण के लिए जरूरी है ने सूबे का सियासी पारा चढ़ा दिया था. हालांकि, हंगामे के बाद अब उपमुख्यमंत्री ने यू-टर्न ले लिया है.
दोहरी मार झेलती हैं महिलाएं
बीजेपी नेता ने मंगलवार को बयान जारी करते हुए कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए महिला और पुरुष दोनों का शिक्षित होना जरूरी है. शिक्षा से ही उनमें समझदारी आएगी और वो सही फैसला ले सकेंगे. अगर महिलाओं को आगे बढ़ाने में पुरुष की भूमिका है, तो उन्हें बढ़-चढ़ कर इसमें भी हिस्सा लेना चाहिए क्योंकि महिला दोहरी मार झेलती हैं. वो घर का भी काम करती हैं और बाहर का भी.
उन्होंने कहा, " ऐसे में अगर परिवार नियोजन में पुरुष भी साथ दें तो और परिणाम और बेहतर होगा. बिहार सरकार ने सारी सुविधाएं दी हैं. ऐसे में पुरुष महिलाओं को लेकर अस्पताल पहुंचे ताकि वो सुविधाओं का लाभ ले सकें. सभी को पढ़ना जरूरी है. जनसंख्या नियंत्रण में नहीं रखेंगे तो हम कुपोषण के शिकार होंगे. बिहार में वैसे भी जनसंख्या काफी बढ़ी हुई है. देश में भी जनसंख्या है. इसलिए इसका ध्यान रखना जरूरी है."
हम दो, हमारे दो बेहतर विकल्प
रेणु देवी ने कहा, " मुख्यमंत्री को धन्यवाद देना चाहती हूं. महिला शिक्षा के लिए उन्होंने जो कदम उठाए वो सराहनीय हैं. केंद्र का भी इस काम में सहयोग मिल रहा. ऐसे में पीएम मोदी को भी धन्यवाद. राज्य में महिला शिक्षा दर बढ़ा है, प्रजनन दर भी कम हुआ है. ये और कम हो इसके लिए शिक्षा बहुत जरूरी है. ऐसे में आग्रह है कि पुरुष भी जागरूक रहें. हम दो, हमारे दो के नियम पर चलेंगे तो भविष्य उज्ज्वल होगा."
मुख्यमंत्री ने कही थी ये बात
दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर किए सवाल के जवाब कहा था, "जनसंख्या नियंत्रण के लिए अगर सिर्फ कानून बनाकर उसका उपाय करेंगे तो ये संभव नहीं है. आप चीन का उदाहरण देख लीजिए. वहां एक से दो बच्चों को लेकर निर्णय लिया गया, अब देखिए वहां क्या हो रहा है. सबसे बड़ी चीज है कि महिलाएं जब पूरी तौर पर शिक्षित और जागरूक होंगी तो अपने आप प्रजनन दर घट जाएगा." हालांकि, मुख्यमंत्री के इस थ्योरी से उन्हीं की कैबिनेट की मंत्री और बिहार की महिला उपमुख्यमंत्री रेणु देवी सहमत नहीं थीं.
रेणु देवी ने जाहिर की थी असहमति
उन्होंने मुख्यमंत्री की बातों पर असहमति जाहिर करते हुए कहा था कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए राज्य में मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने, कुपोषण में कमी, साक्षरता दर बढ़ाने और परिवार नियोजन के संबंध में व्यापक जागरूकता लाने की जरूरत है. हालांकि, यह सभी कार्य हो रहे हैं, इन कार्यों के परिणाम भी अच्छे मिले हैं. लेकिन इसे युद्धस्तर पर करने की आवश्यकता है.
रेणु देवी ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को जागरूक करने की जरूरत है क्योंकि पुरुषों में नसबंदी को लेकर काफी डर देखा जाता है. बिहार के कई जिलों में तो नसबंदी की दर मात्र एक प्रतिशत है. महिलाओं के रिप्रोडक्टिव हेल्थ के लिए सरकारी अस्पतालों में कई सुविधाएं दी जाती हैं. मगर इन सुविधाओं को लाभ महिलाओं तक तभी पहुंचेगा जब घर के पुरुष जागरूक हाें और महिलाओं को अस्पताल तक लेकर जाएं.
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