Sawan 2024: बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने लखीसराय के अशोक धाम मंदिर में दीप प्रज्वलित कर श्रावणी मेला का शुभ उद्घाटन किया. इसके बाद उन्होंने मंदिर के गर्भगृह में जाकर पूजा अर्चना की. इस मौके पर आज (21 जुलाई) अषाढ़ गुरु पूर्णिमा के अवसर पर हजारों शिवभक्तों ने शिवलिंग पर जलाभिषेक किया. इंद्रदमनेश्वर महादेव अशोक धाम मंदिर में सनातन धर्म के अनुयायियों की विशेष श्रद्धा है.


यहां बाबा इंद्रदमनेश्वर महादेव की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि यहां देवाधिदेव महादेव वर्ष 1977 में अवतरित हुए. यह स्थान तीन नदियों (किऊल, हरूहर और गंगा) के त्रिमुहानी पर स्थित है. मंदिर ट्रस्ट के सचिव बताते हैं कि नदी तट पर बने मंदिर व धाम का अपना अलग महत्व होता है. तीन नदियों के संगम बीच बने मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है.


अशोक धाम नाम क्यों पड़ा ?


दरअसल, शिवलिंग के अवतरण की प्रमुख साक्षी बाबा अशोक यादव जी महाराज थे. इनके ही नाम पर इस मंदिर को आज अशोक धाम के नाम से जाना जाता है. उन्होंने बताया था कि जब शिवलिंग यहां प्रकट नहीं हुआ था उस समय भी यह जगह काफी स्वच्छ रहता था. वहीं, आज भी यह मंदिर परिसर बेहद साफ सुथरा रहता है और इसकी वजह बाबा के प्रताप को ही लोग मानते हैं. मंदिर में पर्यावरण संरक्षण का काफी ख्याल रखा जाता है और जगह-जगह पर पौधे लगाए गए हैं जो आज वृहत वृक्ष का रूप धारण कर चुके हैं. गर्मी में ये पेड़ अपनी छाया से लोगों को राहत देते हैं.


कांवरियों का जत्था पहुंचता है अशोक धाम


सावन माह में जब कांवरिया बाबा बैद्यनाथ धाम देवघर के लिए रवाना होते हैं तो यूपी, राजस्थान समेत बिहार के रोहतास, पटना, चंपारण व बेगूसराय आदि जगहों के कांवरिए सुल्तानगंज जाने के दौरान अशोक धाम मंदिर जरूर जाते हैं और यहां मौजूद पेड़ों की छाया में विश्राम करते हैं. मंदिर में पूजा अर्चना के बाद ही वो आगे बढ़ते हैं. ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से अगर यहां पूजा करके कुछ मन्नत मांगी जाए तो वह जरूर पूरी हो जाती है.


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