दरभंगाः स्वास्थ्य विभाग (बिहार) के एक चौंकाने वाला कारनामे से दरभंगा से लेकर पटना तक उसकी चर्चा हो रही है. मामला डीएमसीएच (DMCH) में एक रेजिडेंट डॉक्टर शिवांगी की तैनाती का है, जिसकी मौत 11 महीने पहले हो चुकी है. डॉक्टर का तबादला किए जाने के बाद उनकी ज्वाइनिंग के लिए अस्पताल अधीक्षक इंतजार करते रहे लेकिन जब एक सप्ताह तक महिला डॉक्टर अपनी ड्यूटी ज्वाइन करने नहीं आई तब इस बात का खुलासा हुआ.
दरअसल, डीएमसीएच पहले से ही डॉक्टर की कमी झेल रहा है. ऐसे में डीएमसीएच के एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट में डॉक्टर शिवांगी की पोस्टिंग की गई थी. वह तो पहुंचीं नहीं लेकिन इस डिपार्टमेंट में पहले से काम कर रहे डॉ. अविनाश का तबादला पटना के पीएमसीएच में कर दिया गया है. वह डीएमसीएच से पीएमसीएच जा चुके हैं. अब ऐसे में डीएमसीएच में एक और डॉक्टर की कमी हो गई.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (NMCH) के एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट में बतौर सीनियर रेजिडेंट काम कर रहीं 30 वर्षीय डॉ. शिवांगी गुप्ता ने 11 माह पहले पीएमसीएच के हॉस्टल में आत्महत्या कर ली थी. डॉक्टर शिवांगी ने 27 अगस्त 2020 को एनएमसीएच ज्वाइन किया था. वह 2009 बैच की एमबीबीएस स्टूडेंट थीं.
पहले भी हो चुकी है इस तरह की गलतियां
गौरतलब हो कि 9 मार्च 2021 को मृत डॉ. रामनारायण राम का तबादला किए जाने के मामले में बिहार विधान परिषद में जमकर हंगामा हुआ था. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को सफाई देनी पड़ी थी. मंगल पांडेय ने विधान परिषद में कहा था कि तबादले की प्रक्रिया विभाग में बहुत लंबी होती है. बावजूद इसके इस मामले की जानकारी होते ही ट्रांसफर की प्रक्रिया में शामिल जिम्मेदार अधिकारी को नोटिस जारी किया गया है. उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा था कि ट्रांसफर की प्रक्रिया में 20 दिन से लेकर 1 माह का समय लगता है, हो सकता है कि यह प्रक्रिया जब शुरू की गई हो उस समय ट्रांसफर होने वाले डॉक्टर मृत नहीं थे फिर भी हमने अधिकारियों को शो कॉज नोटिस जारी किया है.
(इनपुटः दरभंगा से पुरुषोत्तम)
यह भी पढ़ें-