पटना: बिहार में शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) ने भले ही छुट्टी (Bihar School Holidays) कटौती का आदेश वापस ले लिया हो, लेकिन विवाद थमता नहीं दिख रहा है. विभाग ने अब फिर से कहा है कि स्कूलों में सालाना 200 से 220 दिनों तक पढ़ाई पूरा कराने के लिए घोषित और अघोषित छुट्टियों पर शिक्षा विभाग फिर से विचार करेगा. शिक्षा विभाग ने कहा है कि स्कूलों में घोषित और आकस्मिक छुट्टियों पर पुनर्विचार किया जाएगा. वहीं, इसके बाद माना जा रहा है कि विवाद फिर से भड़केगा.


'मध्य विद्यालयों में 220 दिन पढ़ाई का प्रविधान है'


शिक्षा विभाग का कहना है कि शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के तहत प्राथमिक विद्यालयों में अकादमिक वर्ष में कम-से-कम 200 दिन एवं मध्य विद्यालयों में कम-से-कम 220 दिन पढ़ाई का प्रविधान है, लेकिन घोषित एवं आकस्मिक अवकाशों के चलते ऐसा नहीं हो पा रहा है. जिला शिक्षा पदाधिकारियों द्वारा सिर्फ घोषित अवकाशों की गणना की जाती है. जिला शिक्षा पदाधिकारियों द्वारा अघोषित अवकाशों की गणना नहीं हो पाती है.


शिक्षकों की छुट्टियों को लेकर राजनीति गरमाई


बताया जाता है कि फिलहाल 190 दिन ही विद्यालय में पठन-पाठन का कार्य हो पा रहा है. क्षेत्रीय जिला प्रशासन द्वारा समय-समय पर कई ऐसे अघोषित अवकाश दिए जाते हैं, जिससे स्कूलों में पढ़ाई बाधित होती है. अत्यधिक ठंड और गर्मी तथा बाढ़ प्रभावित इलाकों में स्कूलों में छुट्टियां दी जाती है. उल्लेखनीय है कि 29 अगस्त को शिक्षा विभाग ने संशोधित छुट्टी की सूची जारी की थी, जिसके तहत सितंबर से दिसंबर तक पड़ने वाली 23 छुट्टियों के घटाकर 11 कर दिया गया था. इसके बाद इस कटौती का विरोध शुरू हो गया. सरकारी स्कूलों में छुट्टियों में कटौती के भारी विरोध के बाद सरकार ने कटौती के आदेश को सोमवार को वापस ले लिया.


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