जहानाबाद: बिहार के जहानाबाद में इन दिनों दो इंजीनियर भाईयों की मेहनत और उद्यमशीलता लोगों के लिए ना सिर्फ कौतूहल बना है बल्कि युवाओं एक नई दिशा भी दिखा रहा है. जहानाबाद के पतियावां गांव के पूर्व मुखिया रुद्रेश शर्मा के दोनो बेटे रूपेश और नितेश नोएडा और अजमेर में मल्टीनेशनल कंपनी में लाखों रुपये के पैकेज पर काम काम कर रहे थे. लेकिन फिर इन दोनों भाईयों ने नौकरी छोड़ कुछ अलग करने की ठानी और वापस गांव लौट अलग तरह की किसानी शुरू कर दी.



पहले ग्रामीणों ने बनाया मजाक


शुरू में तो ग्रामीणों ने इनके निर्णय पर खुब मजाक बनाया पर इनई नई किस्म की खेती ने उनके बीच एक नई चेतना जगा दी क्योंकि इनकी खेती कोई आम खेती नहीं थी. ये ऊपजाते हैं काला चावल जिसकी महत्ता जान आज स्थानीय किसान इनसे ट्रेनिंग ले रहे हैं. गांव के ही नहीं बल्कि जिले के विभिन्न इलाकों के तकरीबन 100 से अधिक किसानों ने इनसे प्रेरणा ले काला चावल की खेती करनी शुरू कर दी है. बता दें कि आम चावल के मुकाबले महंगी कीमत पर मिलने वाले इस काला चावल की खेती पारंपरिक रूप से उगाए जाने वाले धान की फसल से आसान और सस्ती है. काले चावल के धान में ना तो खाद की ज़रूरत है और ना ही ज़्यादा पटवन की.



सैकड़ो किसानो ने लगाई है काले चावल की फसल


इन इंजीनियर भाईयों से प्रेरणा लेकर काले चावल की पहली बार खेती में अपनी किस्मत आजमा रहे किसान ललन कुमार राजकुमार और कृष्ण कुमार की माने तो ये इंजिनियर भाई ना सिर्फ उन्हें बीज मुहैया करा रहे हैं बल्कि उपज को भी सरकारी दाम से दुगुने पर खरीदने का आश्वासन दिया है. काला चावल की खेती करने वाले किसानों ने भी खुशी जताते हुए कहा कि अब उनकी फसल और मेहनत का सही दाम मिल पायेगा. जहानाबाद, अरवल, गया, नवादा और शेखपुरा जिले में तकरीबन 300 एकड़ में काले चावल की खेती हो रही है और इसके बाद 1000 एकड़ में काले गेहूँ की खेती कराने की योजना है.


हेल्थ को लेकर गुणकारी है ब्लैक राइस


इंजीनियर नितेश और रूपेश की मानें तो ये खेती ऑर्गेनिक तरीके से की जा रही है. इन्होने काफी सर्वे के बाद काला चावल की फसल उपजने के लिए सोचा. जो ना सिर्फ औषधीय गुणों से भरपूर है बल्कि कई बीमारियों को दूर करने में भी कारगर है. मसलन काला चावल में एंटीऑक्सिडेंट होने के कारण इसके कई हेल्थ बेनिफिट भी हैं. यह इम्यूनिटी पॉवर बढ़ाने के साथ-साथ कोलेस्ट्रॉल और डाइबिटीज लेबल को कंट्रोल करता है.


मार्केटिंग की भी कर रखी है मुकम्मल व्यवस्था


उपज के बाद सबसे ज्यादा परेशानी मार्केटिंग की होती है ऐसे में इन इंजीनियर भाईयों ने खुद किसानों की उपज को सरकारी रेट के मुकाबले दोगनी रेट पर खरीद कर अपनी कंपनी वेजीटो कार्ट के माध्यम से बाजार में सप्लाई भी करने की भी प्लानिंग बना ली है. इसके लिए किसानों से अग्रीमेंट भी कर लिया है. रोजगार के अवसर बढ़ाने को लेकर फूड प्रोसेसिंग प्लांट भी लगाने की इन इंजीनियर ब्रदर्स ने प्लानिंग कर ली है. बहरहाल इनकी लगन और मेहनत को देखकर कहना गलत नहीं होगा कि ये खेती और किसानी के क्षेत्र में एक नई इबारत लिखने जा रहे हैं.


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