बिहारः BPSC में पास होकर भी मगध विश्वविद्यालय की गलती के कारण ‘फेल’ हो गई निकिता
निकिता ने कहा कि वह अकेली ऐसी लड़की नहीं बल्कि उनके साथ 17 स्टूडेंट्स के साथ ऐसा हुआ.आयोग के सचिव ने कहा- मूल विज्ञापन में सबकुछ स्पष्ट है, अभ्यर्थियों के पास तीन वर्ष का समय था.
![बिहारः BPSC में पास होकर भी मगध विश्वविद्यालय की गलती के कारण ‘फेल’ हो गई निकिता Even after passing in 64th BPSC Nikita Sinha failed due to the mistake of the magadh university ann बिहारः BPSC में पास होकर भी मगध विश्वविद्यालय की गलती के कारण ‘फेल’ हो गई निकिता](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/06/24/7ae73bd073eff98d8eaeb4231e85cc35_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
पटनाः बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 64वीं परीक्षा के अंतिम परिणाम में कुछ अभ्यर्थियों की उम्मीदवारी रद्द कर दी गई. इनमें एक नाम निकिता सिन्हा का भी है. बताया जाता है कि स्नातक की डिग्री का प्रमाण पत्र बीपीएससी परिणाम से पहले जमा नहीं करने के कारण आयोग ने ऐसा किया है.
इस पूरे मामले में निकिता ने एबीपी न्यूज से बातचीत करते हुए कहा कि उन्होंने आयोग से गुहार लगाकर कहा है कि वे स्नातक की डिग्री का प्रमाण पत्र साक्षात्कार के समय डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के दौरान जमा नहीं कर सकी. उस समय तक उन्हें मगध विश्वविद्यालय की ओर से मूल प्रमाणपत्र नहीं उपलब्ध कराया गया था. विश्वविद्यलाय ने मूल प्रमाण पत्र की जगह टेस्टिमोनियम सर्टिफिकेट दिया.
विश्वविद्यालय ने दिया था टेस्टिमोनियम सर्टिफिकेट
निकिता सिन्हा ने वर्ष 2013 में मगध विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद 2018 में मूल प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया. विश्वविद्यालय से समय से जारी नहीं होने के कारण वह प्रमाण पत्र जमा नहीं कर सकी. 2013 से ही वह लगातार अपने कॉलेज और यूनिवर्सिटी से प्रमाण पत्र के लिए प्रयास करती रही हैं. जब बीपीएससी 64वीं का नोटिफिकेशन आया था उस समय भी उन्होंने कॉलेज से प्रमाण पत्र को लेकर मिलीं लेकिन वहां से कॉलेज द्वारा एक टेस्टिमोनियम सर्टिफिकेट दिया गया जिसमें स्पष्ट लिखा गया था कि अभी मूल प्रमाण पत्र यूनिवर्सिटी से नहीं आने के कारण ये टेस्टिमोनियम सर्टिफिकेट कॉलेज द्वारा जारी किया गया जो सभी जगह मान्य होगा. उसी के आधार पर उन्होंने बीपीएससी का फॉर्म भरा था.
अपनी समस्या सुनाते हुए निकिता ने कहा, “बीपीएससपी का मुख्य परीक्षा निकलने के बाद से ही मैं मूल प्रमाण पत्र के लिए बोधगया यूनिवर्सिटी का चक्कर लगाते रही लेकिन यूनिवर्सिटी विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए डिग्री उपलब्ध नहीं कराया. काफी प्रयास के बाद 26 नवंबर को यूनिवर्सिटी द्वारा लिखित प्रमाण पत्र ही निर्गत किया गया जिसमें मुझे अधीकृत छात्रा बताया गया और मुझे आश्वासन दिया गया कि इस लिखित प्रमाण पत्र सभी जगहों पर मान्य होगा और इसके आधार पर मुझे इंटरव्यू में बैठने का मौका मिला. अब फाइनल के समय उम्मीदवारी को रद्द कर दिया गया और कारण मूल प्रमाण पत्र ना जमा करना बताया गया.”
‘विश्वविद्यालय ने तोड़ दिए सारे सपने’
इस मामले में निकिता ने कहा कि वह खुद को इसके लिए दोषी नहीं मानती. आज एक सर्टिफिकेट उनके सपनों पर हावी होगा उन्हें नहीं पता था. उन्होंने कहा कि वह मिडिल क्लास फैमली से आती है. उन्हें संघर्ष कर अपने पापा के के सपने को पूरा करना है इसलिए वह बीपीएससी में भाग ले रही है. कहा कि उन्हें उम्मीद भी नहीं थी कि उनके साथ ऐसा भी होगा. कहा कि वह अकेली नहीं है बल्कि उसके साथ 17 स्टूडेंट्स हैं जिनके साथ ऐसा ही हुआ है. निकिता ने कहा, “बिहार के मुख्यमंत्री और आयोग से अनुरोध करती हूं कि मेरी बिना गलती के मुझे बाहर कर दिया गया तो ऐसे में मैं क्या करूं? सपना टूटना बहुत बड़ी बात होती है.”
आयोग ने भा दी सफाई, झाड़ लिया पल्ला
इस संबंध में आयोग के सचिव केशव रंजन ने बताया कि आयोग ने अपने मूल विज्ञापन में भी स्पष्ट कर रखा है कि उन्हें सभी प्रमाण पत्र फार्म के साथ चाहिए. अभ्यर्थियों के पास तीन वर्ष का समय था. साक्षात्कार तक भी प्रमाण पत्र जमा होने पर आयोग विचार करता. प्रमाण पत्र नहीं रहने के कारण आयोग के नियमानुसार इनकी उम्मीदवारी रद्द की गई है.
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