पटनाः यूपी, पंजाब समेत पांच राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व बिहार पर फोकस कर सकता है. सूत्रों के अनुसार, शीर्ष नेतृत्व बिहार में बीजेपी के संगठन से लेकर सरकार तक में व्यापक फेरबदल कर सकता है. 2024 के लोकसभा एवं 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बदलाव हो सकते हैं.


बिहार में हुए 2020 में विधानसभा चुनाव में 74 सीटों के साथ बीजेपी एनडीए में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. इसका इनाम बिहार बीजेपी अध्यक्ष और सांसद संजय जायसवाल को मिल सकता है. उनको केंद्र सरकार में राज्यमंत्री बनाया जा सकता है. वह वैश्य जाति से आते हैं. बतौर अध्यक्ष उनका कार्यकाल इसी साल अगस्त में समाप्त हो रहा है, लेकिन उससे पहले ही आने वाले दिनों में उनको केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है. मुजफ्फरपुर से तीसरी बार बीजेपी के सांसद बने अजय निषाद जो अति पिछड़ी जाति से आते हैं उनको बिहार बीजेपी अध्यक्ष बनाया जा सकता है.


2020 बिहार विधानसभा चुनाव के बाद एनडीए सरकार बनने पर तारकेश्वर प्रसाद और रेणू देवी को बिहार में डिप्टी सीएम बनाकर बीजेपी ने पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग को संदेश देने की कोशिश की थी. आने वाले समय में इन दोनों में से किसी एक को बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन में महासचिव बनाकर अहम राज्यों का प्रभारी बनाया जा सकता है. किसी सवर्ण समुदाय से आने वाले या यादव जाति के किसी नेता को बीजेपी बिहार में डिप्टी सीएम बना सकती है. बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय सवर्ण समुदाय से आते हैं. ब्राह्मण हैं उनको या स्पीकर विजय सिन्हा जो सवर्ण समाज से आते हैं, भूमिहार हैं इनमें से किसी एक को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है. सवर्ण समुदाय बिहार में बीजेपी का पारंपरिक वोटर माना जाता है. सवर्ण समाज से किसी को बीजेपी डिप्टी सीएम नहीं बनाती है तो केंद्रीय गृह राज्यमंत्री व बिहार के उजियारपुर से बीजेपी सांसद नित्यानंद राय जो यादव जाति से हैं उनको डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है.


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हटाए जा सकते हैं खराब प्रदर्शन करने वाले


बिहार में यादवों की 14 फीसद आबादी है. आरजेडी को टक्कर देने के लिए बीजेपी का एक धड़ा चाहता है कि बिहार में बीजेपी यादव नेताओं को आगे बढ़ाए. वहीं बिहार में बीजेपी कोटे के मौजूदा मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा भी हो सकती है. खराब प्रदर्शन वाले मंत्रियों को मंत्रिमंडल से हटाया भी जा सकता है. सामाजिक समीकरण साधते हुए बिहार में बीजेपी खुद को और मजबूत करना चाहती है.


बिहार में बीजेपी-जेडीयू गठबंधन वाली सरकार है लेकिन बीजेपी-जेडीयू में जातीय जनगणना, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा, शराबबंदी समेत कई मुद्दों पर टकराव चरम पर है. बीजेपी कोटे के मंत्रियों का आरोप भी रहता है कि अधिकारी उनकी सुनते नहीं है. ऐसे में बीजेपी और जेडीयू का साथ कब तक बना रहेगा यह कह पाना मुश्किल है. बीजेपी को लग रहा है कि कहीं बिहार में मध्यावधि चुनाव न हो जाए. यह भी हो सकता है कि बीजेपी अगला विधानसभा चुनाव अकेले लड़े. इसलिए हर परिस्थिति के लिये बीजेपी खुद को तैयार करने की मुहिम में जल्द जुट सकती है.


बीजेपी और जेडीयू ने क्या कहा?


बिहार बीजेपी प्रवक्ता डॉ. रामसागर सिंह ने कहा कि यूपी पंजाब समेत पांच राज्यों के चुनावी नतीजे आने हैं. हर चुनाव के बाद बीजेपी आलाकमान समीक्षा करता है कि किन राज्यों में संगठन या सरकार में बदलाव करने की जरूरत है और उस हिसाब से अपना फैसला लेता है. बिहार में बीजेपी के संगठन या सरकार में बदलाव आगामी दिनों में होगा या नहीं इसकी जानकारी मुझे अभी नहीं है. जेडीयू सांसद सुनील कुमार पिंटू ने कहा कि बिहार में बीजेपी अपने संगठन और सरकार में बदलाव करती भी है तो इससे जेडीयू को कोई मतलब नहीं है. यह सब बीजेपी का अंदरूनी मामला है.


आरजेडी ने क्या कहा?


वहीं आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉक्टर नवल किशोर ने कहा कि बीजेपी बिहार में अपने संगठन या सरकार में जितना चाहे फेरबदल कर ले उससे उसे कोई लाभ नहीं होगा क्योंकि केंद्र और बिहार दोनों जगह एनडीए की सरकार होने के बावजूद बिहार को कोई लाभ नहीं मिला. नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार गरीब, पिछड़ा हुआ है. बिहार सरकार जनहित के जितने योजनाओं को बनाती है वह सब जमीन पर सफल नहीं होता है. रोजगार देने का वादा बीजेपी ने पूरा नहीं किया. स्वास्थ्य व शिक्षा व्यवस्था भी बिहार में चरमराई हुई है.


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