पटनाः आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्या लगातार ट्विटर पर एक्टिव रहती हैं, लेकिन उन्होंने बहनों के बचाव में बुधवार को ट्विटर पर आपा खो दिया. इसके बाद राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी के लिए उन्होंने ट्विटर पर कई अपशब्द कह डाले.
उन्होंने क्यों इतने ट्वीट किए और क्या कुछ इसके पीछे वजह है इससे जानने के लिए एबीपी न्यूज ने सीधे रोहिणी से संपर्क किया. पढ़िए रोहिणी और एबीपी के सीनियर न्यूज एडिटर प्रकाश कुमार से बातचीत के अंश.
सुशील मोदी के ट्वीट पर आप इतना जोरदार भड़कीं कि अपशब्दों की बौछार कर दी, आपको लगता है कि आपने सही किया?
इसका जवाब मेरे फेसबुक या ट्विटर से मिल जाएगा. हां, मैं एक भारतीय नागरिक हूं. अपनों की बातें अपनों से करती हूं और जो भी मीडिया की ओर से मेरे पास आता है उसको देखने के बाद ही रिएक्ट करती हूं. रहा सवाल मोदी जी (सुशील मोदी) का तो ये बताएं ना कि उनके बेटे किसकी सेवा में लगे हैं?
सोशल मीडिया के जरिए राजनीति करने से जमीन पर रहने वालों के दर्द को कैसे समझा जाए?
ना हीं मैं सरकार में हूं और ना हीं राजनीति में तो इसका कोई मतलब नहीं है. जब कोई पर्सनल सवाल घर की बेटी-बहन के बारे में बोलेगा तो सुनना तो पड़ेगा ही. कल को आपकी बेटी-बहन के बारे में कोई बोलेगा तो क्या मुंह बंद कर लेंगे? रही बात राजनीति कि तो मोदी (सुशील मोदी) तेजस्वी की बहन के बारे में क्यों बोलते हैं? बोलना है तो पॉलिटिकल जितना भी बोलना है बोलें. भारत का दुर्भाग्य है कि बेटी बहन के लिए,ये लोग अपनी गंदी राजनीति में घसीट लाते हैं और ट्रोलर्स की फौज उतार देते हैं. जितना ये मुझे गाली देंगे उनको हम मुंह तोड़ जवाब देंगे.
कोरोना महामारी में बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुल गई है, क्या कहेंगी?
ये 20 साल से जनता को झांसा दे रहे हैं. इन्होंने ही बोला था ना कुछ दिनों पहले की बिहार से कोरोना भाग गया. कोरोना महामारी में एक साल तक टाइम था कुछ करने के लिए, लेकिन कुछ नहीं किया और जो करना चाहता है उसको गाली दे रहे हैं. अपनी नाकामी छुपाने के लिए ऐसे करते हैं लोग. ये तो नेता भी नहीं हैं, चोर दरवाजे से सत्ता हासिल करके आए हैं. सुशील मोदी बताएं ना कि इनका भाई आशियाना बिल्डर्स के अपार्टमेंट में हॉस्पिटल क्यों नहीं खोला?
आप बेबाक तरीके से अपनी राय रखती हैं, अपने पिता की तरह निडर और निर्भीक होकर.
अपनी बात अपने लोगों को सोशल मीडिया के माध्यम से उठाते हैं और उठाते रहेंगे. आखिर हम जिंदा कौम हैं आवाज तो बुलंद करेंगे ही. मुर्दा थोड़ी हैं जो आंख के अंधे और मुहं के गूंगे बनकर तमाशा देखें. पापा सबको मानते हैं और सम्मान देते हैं, लेकिन लोग उनका फायदा उठा लेते हैं.
आपके रोल मॉडल कौन हैं?
मेरे रोल मॉडल मेरे पापा हैं. मेरे पापा की तरह हर वो निडर निर्भीक इंसान जो जनता के हक के लिए सिस्टम से लड़ जाए बिना परवाह किए कि उसके साथ सिस्टम क्या कर सकता है, मेरा उसूल है नेकी कर दरिया में डाल. पापा यही बोलते थे, जब भी कोई उनको धोखा देता है तो.
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