Explained: विपक्ष के हंगामे से लेकर पुलिस के बल प्रयोग तक, बिहार में ऐसा क्या हुआ जिससे लोकतंत्र शर्मसार हुआा?
स्पीकर के कक्ष का घेराव करने वाले विपक्ष के विधायकों को हटाने के लिए सदन में पुलिस बुलानी पड़ गई. इस दौरान पुलिस ने बल प्रयोग भी किया.
पटना: पुलिस बल को कथित तौर पर बगैर वारंट के गिरफ्तारी की शक्ति देने वाला एक विधेयक नीतीश कुमार सरकार के बिहार विधानसभा में पेश करने के बाद मंगलवार को सदन में अभूतपूर्व स्थित देखने को मिली. स्पीकर के कक्ष का घेराव करने वाले विपक्ष के विधायकों को हटाने के लिए सदन में पुलिस बुलानी पड़ गई. विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), कांग्रेस और वाम दल के महागठबंधन के सदस्य बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक, 2021 का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने इसे लेकर विधानसभा में हंगामा किया, जिसके चलते सदन की कार्यवाही दिन में पांच बार स्थगित करनी पड़ी.
विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इस 'काला कानून' और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर किये गये मार्च का नेतृत्व किया. इसका संकेत उन्होंने सुबह में किये गये अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही दे दिया था. अनधिकृत जुलूस निकालने और डाक बंगला चौराहे पर पथराव करने में संलिप्त रहने को लेकर पुलिस तेजस्वी और आरजेडी के अन्य नेताओं को कोतवाली थाना ले गये थी. वहां से रिहा होने के बाद तेजस्वी वापस विधानसभा में आए, जब सदन की कार्यवाही दोपहर तीन बजे फिर से शुरू हुई थी. इससे पहले, सदन की कार्यवाही तीन बार स्थगित की जा चुकी थी.
विधानसभा अध्यक्ष के आसन के करीब चले गये विपक्षी सदस्य
मंत्री बिजेंद्र यादव द्वारा चर्चा के लिए विधेयक को पेश किये जाते ही विपक्षी सदस्य विधानसभा अध्यक्ष के आसन के करीब चले गये, जहां मार्शल पहुंच गये ताकि सत्ता पक्ष के सदस्यों के साथ उनकी हाथापाई होने से रोका जा सके. इसपर, विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने सदन की कार्यवाही शाम साढे चार बजे तक के लिए स्थगित कर दी और अपने कक्ष के अंदर चले गये, जबकि महागठबंधन के सदस्यों ने इसे चारों ओर से घेर लिया और नारेबाजी करने लगे.
#WATCH Bihar: Women MLAs of the Opposition being carried out of the Assembly building by women security personnel. They (MLAs) were refusing to allow Assembly Speaker Vijay Kumar Sinha to step out of his chamber. pic.twitter.com/Skj0LayFs4
— ANI (@ANI) March 23, 2021
स्थिति से निपटने में मार्शल को समस्या होने के बारे में पता चलने पर पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उपेंद्र शर्मा विधानसभा परिसर पहुंचे. इस बीच, बीजेपी के वरिष्ठ विधायक प्रेम कुमार ने सदन के पीठासीन अधिकारी के तौर पर कार्यवाही बहाल की, लेकिन पूरे सदन में शोरगुल होता रहा. मंत्री के तौर पर विधानसभा में मौजूद एमएलसी अशोक चौधरी उस वक्त गुस्से में नजर आए, जब विपक्षी सदस्यों ने प्रेम कुमार से कागज छीनने की कोशिश की. दरअसल, चौधरी ने साथी विधायकों से अपने पास आने का अनुरोध किया, जब वह अध्यक्ष के आसन के करीब चले गये थे.
आरजेडी के एक विधायक धक्कामुक्की होने पर फर्श पर गिर पड़े
आरजेडी के एक विधायक इस दौरान चौधरी के साथ धक्कामुक्की होने पर फर्श पर गिर पड़े. इससे विपक्षी सदस्य गुस्से में आ गये और उन्होंने मेज पर कुर्सी पटक कर उसे (मेज) तोड़ दी. इसके चलते, पीठासीन अधिकारी ने सदन की कार्यवाही शाम साढ़े पांच बजे के तक के लिए स्थगित कर दी. दिन में, तेजस्वी के नेतृत्व में आरजेडी कार्यकर्ताओं ने विधानसभा परिसर तक मार्च करने की कोशिश की, जिस दौरान उनकी पुलिस के साथ झड़पें हुई.
तेजस्वी और उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव और कुछ अन्य विधायकों के नेतृत्व में आरजेडी के कार्यकर्ता बड़ी तादाद में दिन में जे पी गोलंबर पर एकत्र हुए. वहां से उन्होंने विधानसभा परिसर की ओर मार्च किया, जो करीब तीन किमी दूर है. बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बल, 2021 विधेयक को लेकर उनकी पार्टी के विधायकों ने सदन में एक स्थगन प्रस्ताव दिया हुआ था. गौरतलब है कि यह विधेयक पिछले हफ्ते विधानसभा में पेश किया गया था. यह बिहार मिलिट्री पुलिस का नाम बदलने का प्रस्ताव करता है, उसे कहीं अधिक शक्तियां देता है और कथित तौर पर बगैर वारंट के लोगों को गिरफ्तार करने का उसे अधिकार देता है.
बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक, 2021 के पास हो जाने के बाद पुलिस के पास मुख्यतः ये अधिकार होंगे-
1. बिना वारंट के गिरफ्तार करने की शक्ति 2. बिना वारंट के तलाशी लेने की शक्ति 3. गिरफ्तारी के बाद की जाने वाली प्रकिया 4. जघन्य अपराधियों के लिए दंड 5. न्यायालय द्वारा अपराध का संज्ञान लेने की प्रक्रिया
अब इसे विस्तार से समझें, ये बिल अगर बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में पास हो जाता है तो बिहार पुलिस के पास पूरा अधिकार होगा कि वो किसी भी शख्स को बिना वारंट के हिरासत में ले सकती है. वहीं, किसी के घर की या अन्य प्रेमिसेस की तलाशी के लिए भी वारंट की आवश्यकता नहीं होगी. वहीं, गिरफ्तारी के बाद आरोपित के साथ जो कानूनी प्रक्रिया जाती है, उसके लिए भी पुलिस स्वतंत्र होगी. जघन्य अपराध लिए दंड देने का अधिकार पुलिस के पास होगा. वहीं, सबसे महत्वपूर्ण यह कि कोर्ट किसी भी मामले में तभी दखल देगी जब पुलिस उनसे ऐसा करने को कहेगी. पुलिस को मिलने वाले इन्हीं अधिकारों का विपक्ष विरोध कर रहा है.
विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 बिहार विधानसभा से पास
हालांकि बिहार विधानसभा में मंगलवार को विपक्ष के अभूतपूर्व हंगामे के बाद विपक्ष की अनुपस्थिति में विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक, 2021 पास हो गया. मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि यह विधयेक बिहार सैन्य बल के नाम बदलने और उन्हें और मजबूत करने वाला है. उन्होंने कहा कि बिहार अभी आंतरिक सुरक्षा के मामले में केंद्रीय सुरक्षा बलों पर निर्भर है. इस कानून के बाद सशस्त्र बल के संगठित विकास के बाद आत्मनिर्भर बनेगा.
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