पटना: साल 2021 किसी के लिए खुशहाल रहा तो किसी के लिए दुख भरा. इस साल राज्य के कई बड़े दिग्गज नेताओं ने भी  दुनिया को अलविदा कह दिया. कांग्रेस के बड़े नेता बिहार सरकार के मंत्री रहे सदानंद सिंह, पूर्व विधायक एवं प्रसिद्ध साहित्यकार गौरीशंकर नाग दंश और कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री खालिद रशीद सबा ने अलविदा कह दिया.


साल 2021 में सदानंद सिंह ने भी अलविदा कह दिया


बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ कई पदों पर रह चुके सदानंद सिंह ने इस साल अंतिम सांस ले ली है. जानकारी के मुताबिक सदानंद सिंह का निधन पटना के सगुना मोड़ स्थित क्यूरिस अस्पताल में हुआ था. अस्पताल में भर्ती होने के बाद अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेताओं ने जाकर उनसे अस्पताल में मुलाकात की थी. सदानंद सिंह के निधन के बाद से बिहार के राजनीतिक की एक अध्याय की समाप्ति मानी जाती है. सदानंद सिंह बिहार में कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ राजनेता थे. वो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के अलावा लंबे समय तक बिहार विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे थे.


पूर्व विधायक एवं प्रसिद्ध साहित्यकार गौरीशंकर नाग दंश ने भी अलविदा कह दिया


पूर्व विधायक एवं प्रसिद्ध साहित्यकार गौरीशंकर नाग दंश ने भी अलविदा कह दिया. बतादें की लोक दल का जनता दल में विलय होने के बाद 1990 के चुनाव में नाग दंश मेजरगंज विधायक बने थे. पुन: राजनीतिक उथल-पुथल में वर्ष 2000 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते. नाग दंश ने साहित्य की दुनिया में भी अपनी प्रतिभा दिखाई. वे एक सरल  एवं मृदुभाषी व्यक्तित्व के धनी थे. 


पूर्व मंत्री खालिद रशीद सबा ने भी अलविदा कह दिया


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री खालिद रशीद सबा का भी पटना के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. खालिद रशीद डॉ. जगन्नाथ मिश्रा, बिन्देश्वरी दूबे एवं सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के मुख्यमंत्रित्व काल में तीन बार मंत्री रहे. साथ ही विधान परिषद सदस्य के रूप में दो बार चुने गये और प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे थे. वे अपने पीछे दो पुत्र समेत भरापूरा परिवार छोड़ गये हैं.



साल 2020 में बिहार के दिग्गज नेता और समाजवादी रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी अलविदा कह दिया


पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह का भी निधन साल 2021 शुरू होने से पहले 2020 के अंतिम दिनों में हो गया. वह आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी थे. मरने से पहले उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दिया था, जिसे लालू ने अस्वीकार कर दिया था. आरजेडी का प्रमुख चेहरा रहे रघुवंश प्रसाद को पोस्ट कोविड केयर के लिए दिल्ली एम्स लाया गया था. हालत खराब होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था जिसके बाद उनका निधन हो गया. 1977 से सक्रिय सियासत का हिस्सा बने रघुवंश प्रसाद, लालू प्रसाद यादव के संकटमोचक माने जाते रहे. वे लगातार चार बार वैशाली से सांसद रहे.  यूपीए की सरकार में मंत्री भी रहे.