23 साल से कोल्ड स्टोरेज की राह देख रहे सुपौल के किसान, लालू शासनकाल में हुआ था शिलान्यास
कोल्ड स्टोरेज के निर्माण की बात तो दूर है, अब तो योजना भी फाइलों में भी गुम होती नजर आ रही है. घने जंगलों में बनने वाली कोल्ड स्टोरेज के शिलान्यास के पत्थर की चमक भी अब खत्म हो चुकी है.
सुपौल: बिहार सरकार सूबे के किसानों को हाईटेक बनाने की कोशिश में जुटी हुई है. लेकिन बिहार में आलू की पैदावार में दूसरे स्थान पर आने वाले सुपौल जिले के किसान सरकारी कोल्ड स्टोरेज की बाट पिछले 23 वर्षों से जोह रहे हैं. बता दें कि लालू शासनकाल में ही जिले में कोल्ड स्टोरेज का शिलानान्यास भी किया गया तंग. मगर राजनैतिक दाव पेच में फंस कर योजना धरी की धरी रह गयी.
बता दें कि लालू शासनकाल तत्कालीन कृषि मंत्री राम जीवन सिंह ने 5 जून 1997 ने त्रिवेणीगंज स्थित पिपरा जदिया मुख्य मार्ग के किनारे जिले के पहले कोल्ड स्टोरेज की नींव रखी गई थी ताकि सुपौल जिले के आलू किसान लाभान्वित होकर खुशहाल बन सकें. वहीं, आलू भंडारण से आलू को बर्बाद होने से भी बचाया जा सके. लेकिन 23 सालों के बाद भी किसानों की आस पूरी नहीं हुई है.
कोल्ड स्टोरेज के निर्माण की बात तो दूर है, अब तो योजना भी फाइलों में भी गुम होती नजर आ रही है. घने जंगलों में बनने वाली कोल्ड स्टोरेज के शिलान्यास के पत्थर की चमक भी अब खत्म हो चुकी है.
बता दें कि सुपौल के आलू किसानों ने पैदावार मामलो में राज्य में दूसरा दर्जा हासिल किया है. जिले में 4 हजार हेक्टेयर में आलू की खेती की जाती है. बावजूद इसके सरकारी कोल्ड स्टोरेज नहीं होने की वजह से यहां के किसानों के हालात ऐसे हो चुके हैं कि वो अपने आलू को या तो दलालों के चक्कर में पड़कर औने पोने दामो में बेच डालने को मजबूर हैं या फिर सड़ने देने को मजबूर हैं.
इस संबंध में किसान का साफ तौर कहना है कि अगर कोल्ड स्टोरेज होता तो वो खुशहाल होते लेकिन यहां तो उनकी उम्मीदों पर किसी की बुरी नजर लग गई है. वहीं, आलू की खेती में लगने वाले लागत की बात करें तो एक एकड़ भूमि में 25 -30 हजार रुपये खर्च होते हैं, मगर उससे महज 8-10 हजार ही वापस आ पाता है. अगर कभी मौसम खराब हो गई तो वो भी बर्बाद हो जाता है.
इस संबंध में जब जिला कृषि विभाग के उद्यान पदाधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जिले में दो प्राइवेट कोल्ड स्टोरेज चल रहे हैं. सरकारी कोल्ड स्टोरेज के सवाल को दरकिनार करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा प्रावधान अब नहीं है. मगर किसानों की समस्या के बाबत उन्होंने कहा कि किसानों को नजदीकी कोल्ड स्टोरेज और प्राइवेट कोल्ड स्टोरेज में सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. वहीं प्राइवेट कोल्ड स्टोरेज में ज्यादा रुपये देकर सामान रखने को लेकर उन्होंने कहा कि ऐसी बात होगी तो जिला प्रशासन उनकी रेट कम कराएगी.