पटना: आरजेडी सुप्रीमो और पिता लालू प्रसाद यादव से मिलने रांची पहुंचे पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव के खिलाफ रांची के चुटिया थाना में एफआईआर दर्ज की गई है. बता दें कि झारखंड सरकार के कोरोना संबंधी नियमों का उल्लंघन करने के मामले में तेज प्रताप यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. मिली जानकारी अनुसार तेज प्रताप यादव के खिलाफ रांची के सदर अंचलाधिकारी प्रकाश कुमार ने आईपीसी धारा 188, 269, 270 और 34 के तहत एफआईआर दर्ज कराई है.
तेज प्रताप यादव के खिलाफ दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि उन्होंने झारखंड आने से पहले सरकार अनुमति नहीं ली थी. नियमानुसार झारखंड आने वाले सभी का ई-पास लेना और 14 दिन क्वारंटाइन में रहना अनिवार्य है, लेकिन तेज प्रताप ने ऐसा नहीं किया और पटना लौट गए.
बता दें कि केवल तेज प्रताप पर ही नहीं रांची में उन्हें कमरा देने वाले होटल कैपिटल रेसिडेंसी के मालिक और मैनेजर दुष्यंत कुमार के खिलाफ भी एफआइआर दर्ज की गई है. दरसअल पुलिस को सूचना मिली थी कि तेज प्रताप उक्त होटल के कमरा नम्बर- 507 में रुके हुए हैं. जब पुलिस वहां पहुंची और जबरन होटल खुलवाया तो देखा कि कमरे में तेज प्रताप यादव मौजूद थे. दरअसल, कोरोना काल को लेकर सरकार का सख्त आदेश है कि कोई होटल नहीं खुलेगा. इसके बावजूद होटल में तेज प्रताप को ठहराया गया इसलिए होटल मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
इधर, तेज प्रताप पर एफआईआर दर्ज होने के संबंध में प्रतिक्रिया देते हुए बिहार बीजेपी के प्रवक्ता निखिल आंनद ने कहा, " तेज प्रताप यादव ने जो हरकत झारखंड पहुंचकर की है. उन्होंने जो लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन किया और रिम्स में जो मारपीट-गाली गलौज की, वह दुर्भाग्यपूर्ण है, जिसके लिए आरजेडी को बिहार-झारखंड की जनता से माफी मांगनी चाहिए.
इधर, जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा, " कौन बनेगा करोड़पति जैसी प्रतियोगिताओं के लिए एक सवाल बन सकता है कि किस राजनीतिक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष का आवासीय कार्यालय जेल है? मुश्किल जवाब नहीं है क्यूंकि लालू प्रसाद जी भले ही सजायाफ़्ता क़ैदी हों लेकिन आज भी वह आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं."
राजीव रंजन ने कहा, " पूर्व के चुनाव की तरह इस बार भी उम्मीदवारों के चयन और सीटों पर तालमेल पर अंतिम निर्णय जेल की दीवारों के पीछे अपने आवासीय कार्यालय से ले रहे हैं. झारखंड सरकार उन्हें जेल मैन्यूअल का पालन कराने में लाचार है क्योंकि आरजरडी के समर्थन से हेमंत सोरेन की सरकार चल रही है. इसीलिए भारतीय निर्वाचन आयोग को पहल करनी चाहिए क्योंकि जेल मैन्यूअल के साथ ही यह उनके गाइडलाइंस के भी खिलाफ है."