बिहार में 'पूर्ण' शराबबंदी को पूरे हुए पांच साल, आज भी सवालों के कठघरे में है कानून की 'सफलता'
ग्रामीण इलाकों में छिप कर देसी शराब बनाने और पिलाने का धंधा जारी है. इस शराब की वजह से कई बार लोगों की जान जा चुकी है. ताजा मामलों को देखें तो होली के बाद से अब तक जहरीली शराब पीने की वजह से 20 लोगों की मौत हो चुकी है.
पटना: बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू हुए पांच साल हो गए. 2016 में आज के ही दिन सर्वसम्मति से शराबबंदी कानून लागू किया गया था. बिहार में अपराध और घरेलू हिंसा के मामलों को कम करने के मकसद से सूबे के मुखिया नीतीश कुमार ने राजस्व के भारी नुकसान के बावजूद शराबबंदी कानून लागू करने का फैसला लिया था. लेकिन आज पांच साल बाद भी शराबबंदी कानून की सफलता पर विवाद जारी है.
रोजाना बरामद की जाती है शराब
पिछले पांच सालों के आंकड़ों पर अगर नजर डाली जाए तो शायद ही कोई दिन ऐसा होगा जिस दिन राज्य के किसी जिले में शराब की बरामदगी ना हुई हो. राज्य में शराबबंदी होने के बाद से शराब की अवैध बिक्री का धंधा शुरू हो गया है. इस धंधे के संचालन के लिए बकायदा चेन बना हुआ है. इस चेन के सदस्य अलग-अलग लेवल पर काम कर शराबबंदी कानून को धता बता कर लोगों को शराब परोसने में जुटे हुए हैं.
तीन दिनों में 20 लोगों की हुई मौत
इधर, ग्रामीण इलाकों में छिप कर देसी शराब बनाने और पिलाने का धंधा जारी है. इस शराब की वजह से कई बार लोगों की जान जा चुकी है. ताजा मामलों को देखें तो इस सोमवार को मनाए गए होली से अब तक जहरीली शराब पीने की वजह से 20 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, कई लोग अस्पताल में भर्ती हैं. कानून के पांच साल पूरे होने पर जहां जलसा होना चाहिए था, वहां लोगों के घरों में मातम है. जहरीली शराब ने सबसे ज्यादा कहर नवादा जिले में बरपाया है.
पुलिस पर लापरवाही का लगा आरोप
बिहार के नवादा जिले में मंगलवार की रात से अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग इलाजरत हैं. इस पूरे मामले में पुलिस पर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं. लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. इसके अलावा रोहतास, बेगूसराय और मुजफ्फरपुर में भी जहरीली शराब पीने की वजह से मौत का मामला सामने आया है. सासाराम में कोचस थाने के चवरी गांव में संदिग्ध हालात में 5 लोगों की मौत हो गई है. इस मामले पर प्रशासनिक महकमा खामोश है.
परिजनों ने मृतकों का अंतिम संस्कार भी कर दिया पिछले महीने भी शराब पीने से सासाराम में 4 लोगों की मौत और 2 लोगों के आंख की रोशनी चली गई थी. बेगूसराय में होली के दिन जहरीली शराब पीने के बाद मंगलवार देर रात दो लोगों की मौत हो गई है. घटना बखरी थाना क्षेत्र के गोढ़ियारी गांव की है. मुजफ्फरपुर के सकरा थाना क्षेत्र के ईटहा रसूल नगर गांव में सोमवार की रात जहरीली शराब पीने से एक शख्स की मौत हो गई हैं.
सफेदपोशों की संलिप्तता भी आती है सामने
कई बार सफेदपोशों की भी शराब के काले धंधे में संलिप्त होने का मामला सामने आता है. लेकिन कार्रवाई नहीं होती. बीते दिनों नीतीश कैबिनेट के मंत्री राम सूरत राय के भाई हंसलाल राय पर शराब तस्करी के धंधे में संलिप्त होने का आरोप लगा था. इस मुद्दे जमकर राजनीति हुई थी.
बजट सत्र की कार्यवाही के दौरान विपक्ष ने सरकार को सवालों के कठघरे में खड़ा किया था. किरकिरी होने के बाद मुजफ्फरपुर के एसपी ने हंसलाल यादव की गिरफ्तारी की बात कही थी. लेकिन, अब उस मामले को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. वहीं, कई ऐसे मामले हैं कि जिनपर कार्रवाई की बात होती है. लेकिन कार्रवाई नहीं होती.
आखिर क्यों नहीं होती है कार्रवाई ?
ऐसे में सवाल उठता है कि जब कानून है, लोगों तक शराब न पहुंचे इसके लिए मंत्रालय है. मंत्री आईपीएस ऑफिसर रहे सुनील कुमार हैं. मंत्रालय के अवर मुख्य सचिव आईएएस चैतन्य प्रसाद हैं. चैतन्य प्रसाद के बाद एक्साइज कमिश्नर आईएएस बी. कार्तिकेय धनजी हैं. दो-दो ज्वाइंट सेक्रेटरी और डिप्युटी कमिश्नर भी हैं. छह से ज्यादा कमिश्नर हैं. राज्य के 38 जिलों में 90 उत्पाद निरीक्षक हैं.
एक हजार से ज्यादा थाने हैं. हजारों पुलिसवाले हैं, सरकार से लेकर संत्री तक मुस्तैद हैं, तो फिर शराब कैसे लोगों तक पहुंच रही है. यहां तक की सीएम नीतीश कुमार जिन्होंने 5 साल पहले शराबबंदी लागू करने का फैसला लिया था, वो भी फेल दिख रहे हैं. वो कार्रवाई की बात तो कहते हैं, लेकिन कार्रवाई होती नहीं है. बहरहाल, कानून है तो उसका पालन भी होना चाहिए. लेकिन सरकारी तंत्र पर भारी सिंडिकेट को कैसे ध्वस्त किया जाएगा ये बड़ा सवाल है. क्योंकि बिना चैनल को ध्वस्त किए शराबबंदी कानून लागू करना मुश्किल है.