Kishanganj Flood: नेपाल के तराई क्षेत्र में हुई लगातार बारिश से किशनगंज जिले में बहने वाली महानंदा, कंनकई, मैची, रेतुआ सहित अन्य नदियां उफान पर हैं. जिले के सातों प्रखंडों के दर्जनों गांव में नदियों का पानी प्रवेश कर चुका है. बाढ़ की वजह से जिले की लगभग 50 से 70 हजार आबादी प्रभावित हुई है. बाढ़ की वजह से ठाकुरगंज, दिघलबैंक, टेढ़ागाछ, बहादुरगंज, पोठिया, कोचाधामन के निचले इलाकों में पानी भर जाने से लोगों की जनजीवन अस्त व्यस्त हो गई है. बाढ़ का पानी घर के आंगन में घुस गया है. हालात ऐसे हैं कि लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है. इस दौरान लोगों को खाने-पीने के लाले पड़ गए हैं. लोगों ने इसको लेकर प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया.


पीड़ित पलायन को मजबूर


नदी किनारे बसे लोग खुद से अपना आशियाना तोड़ने पर मजबूर दिखे. बाढ़ के कारण लोग घर छोड़ कर सुरक्षित स्थानों पर पलायन करने को मजबूर हो गए हैं. ग्रामीणों ने बताया कि बाढ़ के कारण खाने पीने से लेकर पीने के लिए शुद्ध पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गई है. टेढ़ागाछ, दिघलबैंक प्रखंड में कई घर नदी में कट कर विलीन हो गए. इधर, रविवार की देर शाम को बहादुरगंज के लौचा में सैकड़ों बाढ़ पीड़ितों ने सड़क जाम कर जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया. 


डीएम ने क्या कहा?


बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि बीते तीन दिनों से उनके घरों में पानी है. इसके बावजूद प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं की गई. पीड़ितों ने कहा कि बाढ़ के कारण लाखों रुपये का उन्हें नुकसान हुआ है और तीन दिनों से लोगों के घरों में चूल्हा तक नहीं जला है. बाढ़ पीड़ितों ने सरकार और प्रशासन से मुआवजे की मांग की है. वहीं, डीएम विशाल राज ने कहा कि नदियों का जलस्तर घट चुका है. प्रशासन पूरी तरह सजग है जिसकी वजह से नुकसान कम हुआ है. उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में लोगों को रेस्क्यू किया गया और उन्हें जरूरी मदद मुहैया करवाई जा रही है.


ये भी पढे़ं: Sudhakar Singh: 'गिरिराज सिंह असली सनातनी नहीं', मांसाहार पर सुधाकर सिंह के बयान से BJP हो जाएगी आगबबूला!