पटना: आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव (Lalu Yadav) बाहर रहेंगे या फिर से जेल जाएंगे, इस बात का आज फैसला हो जाएगा. मंगलवार को रांची के सीबीआई अदालत में बिहार के चर्चित चारा घोटाला का पांचवा फैसला आना है. डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ की अवैध निकासी मामले में आज फैसला सुनाया जाएगा. बता दें कि इस मामले के मुख्य आरोपी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद सुप्रीमो लालू यादव हैं. इनके अतिरिक्त 100 से अधिक लोग भी घोटाले में शामिल हैं. कोर्ट में 11 बजे से सुनवाई शुरू होगी.
एबीपी ने लालू के वकील से की खास बातचीत
बता दें कि चारा घोटाला के इसी मामले में गाय, भैंस, सांड आदि मवेशी को स्कूटर और मोटरसाइकिल पर हरियाणा से लाने की डॉक्यूमेंट सीबीआई के वकील ने पेश की है. ऐसे में इन सबूतों को लेकर क्या दलीलें होंगी, जे जानने के लिए 26 साल से चारा घोटाला का केस देख रहे लालू यादव के वकील से प्रभात कुमार से एबीपी ने खास बातचीत की. बातचीत के दौरान लालू यादव के वकील ने बताया कि बाइक और स्कूटर से मवेशी लाने का मामला राज्य सरकार के पशुपालन विभाग का नहीं है. यह मामला केंद्र सरकार का है.
Bihar Crime: चोरी करने घर में घुसा था शख्स, सोती हुई बच्ची को अकेले देखकर बिगड़ी नियत, फिर...
उन्होंने कहा, " उस वक्त केंद्र सरकार की योजना थी कि आदिवासियों को जीवन यापन के लिए मवेशी दी जाए. उसी में गड़बड़ी मामला सीबीआई ने पेश किया है. हालांकि,उस वक्त मुख्यमंत्री लालू यादव थे." वकील ने कहा भले ही चार केस में लालू यादव को सजा हो गई हो, लेकिन पांचवें में उम्मीद बनी हुई है. अगर लालू प्रसाद यादव को तीन साल से कम की सजा होती है, तो कल उन्हें बेल मिल सकता है.
लालू ने खुद से लिखा था आदेश पत्र
एबीपी न्यूज के हाथ में लालू यादव का चार पन्ने का हाथ से लिखा हुआ आदेश पत्र भी हाथ लगा, जिस पर वकील प्रभात कुमार ने कहा कि आदेश पत्र 1996 का है, जो लालू ने खुद अपने हाथ से लिख कर मुख्य सचिव फूल कुमार को दिया था. उस आदेश में जो लोग इस गबन में सम्मिलित थे, उन पर त्वरित कार्रवाई करने की बात लिखी गई थी. वकील प्रभात कुमार ने यह भी कहा कि लालू ने एलएलबी किया है, और लॉ की जानकारी उन्हें बहुत अच्छे से है. इस कारण वह कोई भी आदेश पत्र अपने हाथ से ही लिखते थे. बाकी मंत्रियों की तरह टाइप किया हुआ पर सिग्नेचर नहीं करते थे.
ऐसे में जब उनसे सवाल पूछा गया लालू प्रसाद यादव एलएलबी किए हुए हैं और कानून के अच्छे जानकार थे तो फिर कहां चूक हो गई? इस पर वकील प्रभात रंजन ने कहा कि लालू प्रसाद यादव 1996 में मुख्यमंत्री थे. उन्होंने बैठक कर आदेश पत्र फोर्स एजेंसी को दिया, जिसमें ट्रेजरी अधिकारी ,सम्बंधित जिला के डीएम एवं कई अन्य अधिकारी जांच एजेंसी में शामिल थे. उन लोगों ने ठीक ढंग से काम नहीं किया. सीबीआई के वकील ने यह दलील पेश किया कि लालू मुख्यमंत्री थे और उनकी जवाबदेही थी. इस जवाबदेही का लालू ने सही से पालन नहीं किया. जबकि इस मामले में गलती पूरी तरह फोर्स एजेंसी की थी. लालू ने तो अपना काम कर दिया था.
हालांकि, वकील प्रभात रंजन यह भी कहते हैं की सभी गवाह और डाक्यूमेंट्स सीबीआई के वकील के पास एक ही है. लेकिन हर मामले में अलग-अलग सजा सुनाई गई है .लालू अभी बीमार चल रहे हैं, उम्र भी ज्यादा हो गई है. हम न्यायालय से आग्रह करेंगे कि उन्हें रियायत बरती जाए.
यह भी पढ़ें -