पूर्व CM मांझी इन दिनों हैं परेशान, मुख्यमंत्री से लगाई मदद की गुहार, जानें- क्या है पूरा मामला?
जीतन राम मांझी ने कहा कि विधायकों का आवास छोटा होता है, हमारा आवास बड़ा है और हम जेड प्लस सुरक्षा में हैं. हमारे पास स्टॉप ज्यादा हैं और कई तरह की पॉलिटिकल एक्टिविटी भी हैं. ऐसे में स्वभाविक है कि दो हजार यूनिट से अधिक बिजली का खर्च होता है.
पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी इन दिनों परेशान हैं. लेकिन, उनकी परेशानी का कारण कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि उनके आवास का बिजली बिल है. दरसअल, मांझी अपने सरकारी आवास पर होने वाली बिजली की खपत से परेशान हैं, क्योंकि सरकारी कोटे के तहत उन्हें विधायक के पद के अनुसार सब्सिडाइज़्ड बिजली यूनिट दी जा रही है, जबकि उनके आवास पर बिजली की खपत अधिक है.
तीन महीने पहले सीएम नीतीश को लिखा था पत्र
इस बाबत उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र भी लिखा था, लेकिन उन्होंने अभी तक इसपर कोई संज्ञान नहीं लिया है, जिस वजह से मांझी परेशान हो गए हैं. इस संबंध में उन्होंने शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा, " हमने आज नहीं तीन महीने पहले पत्र लिखा था. उसमें हमने कहा था कि सब्सिडाइज़्ड बिजली यूनिट जो एक एमएलए को मिलती, वही सुविधा मुझे भी मिल रही है. लेकिन मैं पूर्व मुख्यमंत्री हूं. ऐसे में ये उचित नहीं है."
मांझी ने कहा, " विधायकों का आवास छोटा होता है, हमारा आवास बड़ा है और हम जेड प्लस सुरक्षा में हैं. हमारे पास स्टॉप ज्यादा हैं और कई तरह की पॉलिटिकल एक्टिविटी भी हैं. ऐसे में स्वभाविक है कि दो हजार यूनिट से अधिक का खर्च होता है. चूंकि, मैं एक्स सीएम हूं तो मुझे कम से कम चार से पांच हजार यूनिट बिजली देनी चाहिए. ऐसा करने पर हमें काफी सहूलियत होगी. बस यही बात है. ये बातें हमने कल भी उनसे (नीतीश कुमार) मुलाकात के दरम्यान कही है."
आरजेडी ने सीएम नीतीश पर साधा निशाना
इधर, मांझी की इस मांग पर सियासत शुरू हो गई है. आरजेडी ने पूर्व सीएम के इस मांग पर चुटकी ली है. साथ ही सीएम नीतीश पर निशाना भी साधा है. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, " जीतन राम मांझी का दर्द एकबार फिर छलका है. मांझी जी ने नीतीश कुमार को पत्र लिखकर अपनी पीड़ा व्यक्त की है कि पूर्व मुख्यमंत्री के साथ किस तरह का व्यवहार हो रहा है. उनको क्या-क्या सुविधा मिलनी चाहिए, जो नहीं मिल रहा है."
उन्होंने कहा, " अब मांझी जी का मन डोल रहा है. इस डबल इंजन की सरकार में जनप्रतिनिधियों का कोई सम्मान नहीं है. सत्ता धारी दल का सदस्य होने के बाद जब वो अपनी पीड़ा बता रहे हैं, तो उससे ये स्पष्ट है कि वो इस गठबंधन से बाहर आने का रास्ता तलाश रहे हैं. उनको पता है कि एनडीए में रहकर वो अपने समाज का भला नहीं कर सकते और ना ही उनके समाज को वहां कोई सम्मान ही मिल रहा है."
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