बिस्कोमान चुनाव की दोबारा मतगणना पर भड़के सुनील सिंह, सरकार पर लगाया ये बड़ा आरोप
बिस्कोमान के पूर्व अध्यक्ष सुनील सिंह ने कहा कि 30 जनवरी को चुने गए सदस्यों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होना था, तो 5 दिन बाद दोबारा मतगणना करने का निर्णय लिया गया है, जो पूरी तरह गैरकानूनी है.

Former President Sunil Singh: पटना के कृष्ण मेमोरियल हॉल में बीते 24 जनवरी को बिस्कोमान बिहार झारखंड निदेशक मंडल का चुनाव संपन्न हुआ था. उसी दिन मतगणना भी हो गई थी. 17 पैनल में से 12 पैनल बिस्कोमान के पूर्व अध्यक्ष रहे सुनील सिंह पक्ष की उम्मीदवार वंदना सिंह के सपोर्ट में निर्वाचित हुए थे, लेकिन सहकारी निर्वाचन प्राधिकार, सहकारिता मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के जरिए बिस्कोमान (बिहार–झारखंड) के निदेशक मंडल के समूह "A" (सामान्य) तथा समूह "A" (SC/ST) के मत पत्रों की पुनर्मतगणना का आदेश जारी किया गया है. पुनर्मतगणना के लिए 01.02.2025 की तिथि निर्धारित की गई है.
पूर्व अध्यक्ष सुनील सिंह ने री काउंटिंग पर उठाए सवाल
अब इस मामले को लेकर वर्तमान में करीब 20 साल तक रहे पूर्व अध्यक्ष सुनील सिंह ने निर्वाचन आयोग और बिहार सरकार पर आपत्ति जताते हुए हमला किया है. सुनील सिंह ने कहा है कि चुनाव संपन्न हो गया. आज 30 जनवरी को चुने गए सदस्यों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होना था, तो अब अचानक 5 दिन बाद दोबारा मतगणना करने का निर्णय लिया गया है, जो पूरी तरह गैरकानूनी है और चुनाव के सभी नियमों के खिलाफ है.
उन्होंने कहा कि देश की सहकारिता चुनाव का इतिहास में पहला मामला है, जहां चुनाव जीतने से रोकने के लिए पांच बार चुनाव को स्थगित किया गया. यह चुनाव 15 महीने पहले से चालू हुई और चुनाव अधिसूचना के अनुसार नवनिर्वाचित में निदेशक मंडल को 27 जनवरी को पत्रमण प देने की तारीख निश्चित की गई थी, लेकिन नहीं की गई और अब दोबारा मतगणना कराने की बात कही जा रही है. सुनील सिंह ने अपने एक्स अकाउंट पर भी पोस्ट कर केन्द्र और राज्य सरकार पर निशाना साधा है.
छिया: छिया: केन्द्र और राज्य सरकार!
— Dr. Sunil Kumar Singh (@drsunilsinghmlc) January 29, 2025
चार दिन के बाद बिस्कोमान में पुनः Recounting का आदेश!
चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए!@aajtak @airnewsalerts @BiharTakChannel @drusawasthi @firstbiharnews @News18Bihar @news4nations @yadavtejashwi @RohiniAcharya2 @ZeeNews pic.twitter.com/HpP7heXlf2
सुनील सिंह ने कहा कि बिस्कोमान का चुनाव देश की कॉपरेटिव चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष देवेंद्र कुमार सिंह एवं उपाध्यक्ष आरके गुप्ता की निगरानी में कराया गया, जिसके निर्वाचन पदाधिकारी पटना जिला के डीएम चंद्रशेखर सिंह थे. उनकी मौजूदगी में चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के 5 दिन बाद फिर से मतगणना कराना इन सभी अधिकारियों के नियत एवं सहकारी चुनाव प्राधिकरण के इस संस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है. उन्होंने कहा कि निर्वाचन प्रक्रिया कृष्ण मेमोरियल हॉल में संपन्न कराया गया और मतदान एवं मतगणना की पूरी प्रक्रिया का वीडियो रिकॉर्डिंग भी कराया गया.
वोटों की मतगणना के बाद निर्वाचन पदाधिकारी के सभी लोगों को कैमरा के सामने यह पूछा गया कि आप सभी आज की मतगणना से संतुष्ट है, किसी भी प्रत्याशी को आज कार्रवाई को लेकर के कोई परेशानी है तो कहा गया नहीं है. किसी को रिकाउंटिंग करवाना है. उस समय किसी भी प्रत्याशी ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई. उन्होंने कहा कि विस्कोमान के चुनाव में जिस तरह से सहकारी चुनाव प्राधिकरण राज्य एवं केंद्र सरकार के दबाव में आकर चुनावी प्रक्रियाओं को उल्लंघन करके बार-बार चुनाव को प्रभावित करने का प्रयास कर रही है, इससे स्पष्ट है कि सहकारी संस्थाओं पर सरकार जबरदस्ती अपना आधिपत्य स्थापित करना चाहती है.
री काउंटिंग की प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग की मांग
उन्होंने मांग की कि री काउंटिंग की प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग करवाई जाए. चुनावी प्रक्रिया के सभी सक्षम वॉलेट को किसी मजिस्ट्रेट की निगरानी में सभी निर्देशकों की मौजूदगी में सील किया जाए. अगर किसी परिस्थिति में वोटों की गिनती में किसी प्रकार का फेर बदल होता है तो सबसे पहले प्राधिकार के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और विस्कोमान चुनाव के निर्वाचन पदाधिकारी को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए. उन्होंने अंत में कहा कि अगर राज्य एवं केंद्र सरकार यह मन बना चुकी है कि प्रजातांत्रिक प्रक्रिया का चुनाव संपूर्ण नहीं होने देंगे और कुछ चुनिंदा लोगों को ही जबरन नियुक्ति करनी है तो बेहतर यही होगा कि एमएससीएस में बदलाव लाकर सभी निर्देशकों को नॉमिनेट कर दिया जाए और चुनाव प्रक्रिया को ही समाप्त कर दिया जाए.
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