पटनाः कोरोना वायरस की वजह से इन दिनों हर तरफ लोग परेशानी से जूझ रहे हैं. कोई ऑक्सीजन सिलिंडर के लिए दौड़ रहा है तो किसी को दवा और एंबुलेंस के लिए. ऐसे लोगों की मदद के लिए कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सामने आकर इस महामारी में दूसरों की मदद कर कोविड के भगवान बने हुए हैं. कोई फ्री में ऑक्सीजन सिलिंडर दे रहा तो कोई मेडिकल सुविधा. लोग बेझिझक फोन कर या ऐप से मदद मांग रहे और उन्हें मिल भी रहा है.


पटना के हनुमान संस्था के संस्थापक डॉक्टर नीरज झा, उनके पार्टनर संतोष कुमार, कुमार इंटरप्राइजेज के ओनर अजीत कुमार बब्लू उनमें से एक हैं जो अपने-अपने हिसाब से मदद कर रहे हैं. डॉक्टर नीरज कुमार ने बताया कि साल 2020 में उन्होंने संस्था की शुरुआत की थी. उनका मुख्य उद्देश्य था कि जरूरतमंद लोगों को एंबुलेंस और डायगनॉस्टिक सेवा घरों तक पहुंचाया जा सके. इसमें काफी हद तक वे सफल भी हो गए.


मोबाइल ऐप और सॉफ्टवेयर किया गया तैयार


डॉ. नीरज झा बताते हैं कि उन्होंने एक मोबाइल ऐप भी तैयार करवाया है जिसे एंड्रॉयड फोन में इंस्टॉल किया जा सकता है. इसके साथ ही एक सॉफ्टवेयर भी डेवलप किया गया है. जब भी कोई फोन करता है कि उसे इस जगह पर एंबुलेंस चाहिए तो सॉफ्टवेयर के माध्यम से नजदीक के एंबुलेंस की जानकारी मिल जाती है और उन्हें सुविधा मुहैया करा दी जाती है. पिछली बार के लॉकडाउन में इस सर्विस का विस्तार किया गया था.


उन्होंने बताया कि बिहार के 22 जिलों में 350 एंबुलेंस का नेटवर्क स्थापित किया जा चुका है. पटना में कॉल सेंटर चलता है जहां 400 से अधिक कॉल्स प्रतिदिन आते हैं. कोविड पेशेंट हो या सामान्य सभी को सुविधा दी जाती है. हम एंबुलेंस के अलावा भी लोगों के घरों तक पहुंचकर उनका आरटीपीसीआर टेस्ट भी कर रहे हैं. लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती होने के लिए भी सारी सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनकी एक टीम इसपर अलग से काम कर रही है जो प्रतिदिन सुबह जो भी हॉस्पिटल संपर्क में हैं उनसे लिस्ट लेती है कि वहां कितने बेड्स उपलब्ध हैं या कितने खाली होने वाले हैं. इसके हिसाब से जानकारी उपलब्ध रहती है. हम लोगों के घरों तक ऑक्सीजन सिलेंडर भी पहुंचाने की कोशिश करते हैं, उन्हें भरवाने की भी कोशिश करते हैं, विभिन्न लोगों द्वारा भी इस संस्था को मदद मिल रही है.


हमने पिछले साल ही ई-रिक्शा के ऊपर एम्बुलेंस तैयार किया जो अभी पटना में उपलब्ध है. ई रिक्शा से भी पेसेंट का ट्रांसपोर्टेशन किया जाता है. उसके अंदर ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध नहीं है पर मरीज आराम से लेट सकता है और एक्सट्रा चार लोग मरीज के साथ बैठ भी सकते हैं और वो सुगमता से किसी भी हॉस्पिटल में लोगों को पहुंचा देते हैं तो जो नॉन इमरजेंसी ट्रांसपोर्टेशन है उसके लिए ई रिक्शा काफी उपयोगी है.


बिजनेस छोड़कर लोकहित सेवा में कर रहे कार्य


हनुमान संस्था के पार्टनर संतोष कुमार ने बताते हैं कि इंसानियत के नाते हमलोग अपने बिजनेस को छोड़कर लोकहित के लिए काम कर रहे हैं. अच्छा लगता है जब लोगों का फीडबैक मिलता है. अभी हमें काम करने का मौका मिला है और जिलाधिकारी के साथ अच्छी मीटिंग रही हमारी. उम्मीद है कि हमलोग एक कॉमन प्लेटफॉर्म पर रहें क्योंकि ऑक्सीजन सिलिंडर खत्म हो रहे हैं ये तो सभी को पता है पर अब एम्बुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म हो रहे हैं. इसको प्राथमिकता देने की जरूरत है क्योंकि घरों से मरीजों को हॉस्पिटल एंबुलेंस से ही पहुंचना है इसलिए एंबुलेंस सर्विसेज पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. इसकी कमी से मरीजों को ट्रांसपोर्टेशन की दिक्कत होती है.


मदद नहीं करता तो कायरता वाली बात होती


कुमार इंटरप्राइजेज के ओनर ने कहा कि हम सिर्फ ऑक्सीजन गैस दे रहे हैं. जो लोग खाली सिलिंडर लेकर आते हैं उन्हें हम निश्शुल्क गैस भरकर दे रहे हैं. जो होम आइसोलेशन में पेशेंट हैं, जो घर में खुद को क्वारंटाइन किए हुए हैं उनको हम गैस मुफ्त में बांट रहे हैं. मेरे साथ शनिवार, रविवार और सोमवार को ऐसा हुआ कि दुकान के बाहर बहुत ज्यादा भीड़ जमा हो गई जिसके कारण दुकान बंद करना पड़ा. लेकिन लोगों को सिलिंडर लेकर पूरे पटना में घूमते देखा तो लगा कि अभी छोड़कर भागते हैं तो कायरता वाली बात होगी. इसके बाद दुकान को फिर से खोला और फ्री में गैस देने का निर्णय लिया कि जो भी लोग छोटा सिलिंडर लेकर आएंगा उन्हें गैस फ्री देंगे.


गर्दनीबाग के रहने वाले प्रेम कुमार ने बताया कि उन्हें दोस्त से फोन पर जानकारी मिली थी इस बारे में कि यहां ऑक्सीजन भरा जा रहा है. इसके बाद लाभ लेने के लिए आए हैं. इसके अलावा निमेश कुमार ने कहा कि एक फेसबुक से जानकारी मिली थी इसके बारे में कि यहां फ्री में ऑक्सीजन भरा जा रहा है. यहां भी ऑक्सीजन अभी खत्म है लेकिन इंतजार करने के लिए बोला गया है और रुकने के लिए गाड़ी आ रही है और ऑक्सीजन भरा जाएगा. एसबीआई कॉलोनी के रहने वाले नीरज कुमार ने भी ऐसी ही बात बताई.


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