Gandhi Ghat of Bihar: बिहार की राजधानी पटना में गंगा नदी पर बना गांधी घाट मुख्य घाटों में से एक है. इसका घाट का नाम महात्मा गांधी के नाम पर रखा गया है. दरअसल महात्मा गांधी के निधन के बाद उनकी अस्थियों को कई जगह विसर्जित किया गया था जिसमें से एक यह भी घाट था. प्रत्येक सप्ताहांत में यहां शाम के वक्त गंगा आरती होती है. आरती के दौरान यहां हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ लग जाती है.


हरिद्वार और वाराणसी की प्रसिद्ध गंगा आरती के समान यहां भी आरती की जाती है. इस घाट पर पर्यटक नाव की सवारी करते हैं. गांधी घाट को खास  बनाने के लिए यहां पर बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा एमवी गंगा विहार नामक रिवर क्रूज जहाज चलाया जाता है. नेशनल टेक्निकल इंस्टीट्यूट के पीछे होने के कारण इस घाट को एनआईटी घाट के नाम से भी जाना जाता है. 


सप्ताह के अंत में होता है गंगा आरती


पर्यटकों को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार हर शनिवार और रविवार को इस गांधी घाट पर गंगा आरती का आयोजन कराती है. इस घाट पर 51 दीपों के साथ भगवा वस्त्र पहनकर पुजारियों का एक समूह गंगा आरती करती है. आरती की शुरुआत शंख बजाने के साथ शुरू होती है. यह आरती एक विस्तृत पैटर्न में किया जाता है. गांधी घाट पर गंगा आरती साल 2011 में वाराणसी और हरिद्वार में गंगा आरती के तर्ज पर शुरू किया गया था.


पर्यटकों के लिए चलाया जाता है रिवर क्रूज


पर्यटकों को बढ़ावा देने के लिए बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा गांधी घाट पर एमवी गंगा विहार चलाया जाता है. यह एक रिवर क्रूज जहाज है जिसमें ऑन-बोर्ड रेस्टोरेंट है. साल 2016 में एक और जहाज एमवी कौटिल्य पर्यटकों के लिए लाया गया.


मकर संक्राति के दिन होता है पतंग महोत्सव


राज्य पर्यटन विभाग द्वारा मकर संक्रांति के दिन यहां पर पंतग उत्सव का आयोजन कराया जाता है. पतंग महोत्सव की शुरुआत साल 2011 में हुई थी.


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