गया के महाबोधि मंदिर में जूट के चप्पल से होगी एंट्री, यू-ट्यूब से देखकर सीखा फिर जीविका की महिलाओं ने किया कमाल
कुछ दिन पहले देश के प्रधानमंत्री ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि महाबोधि मंदिर के अंदर चमड़ा का चप्पल पहनकर ना जाएं. इसके बाद पांवदान बना रही महिलाएं और युवतियों को मौका मिल गया.
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गयाः किसी भी काम को सीखने और करने की ललक आपके अंदर में हो तो फिर आप कुछ भी कर सकते हैं. गया के बोधगया प्रखंड के बिगहा गांव में जीविका से जुड़ी महिलाएं जूट से चप्पल बना रही हैं. खास बात यह है कि इस चप्पल को पहनकर आप महाबोधि मंदिर में जा सकते हैं. वहीं इस चप्पल से महिलाओं की अच्छी कमाई भी हो रही है. एक चप्पल पर 50 रुपये का मुनाफा हो रहा है.
कुछ दिन पहले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि महाबोधि मंदिर के अंदर चमड़ा का चप्पल पहनकर ना जाएं. इसके बाद पांवदान बना रही महिलाएं और युवतियों को मौका मिल गया अपने हुनर को उड़ान देने का और आज कमाल कर दिया है. चप्पल बना रही महिलाओं ने यूट्यूब का सहारा लिया. पहले कपड़े से बनाना सीखा और उसके बाद जूट का चप्पल बनाने लगीं.
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जीविका पटना के द्वारा दिया जा रहा है प्रशिक्षण
महिलाओं के इस काम को और बेहतर बनाने के लिए जीविका पटना द्वारा प्रशिक्षण दिया गया. अब जीविका समूह की 130 महिलाओं में से 40 से 50 महिलाएं चप्पल बनाने के काम में जुटी हैं. एक चप्पल को बनाने में 150 रुपये का खर्च आता है जिसे 200 रुपये तक बेचा जाता है. ऐसे में सीधा 50 रुपये का मुनाफा होता है. जीविका समूह की सीएम ममता देवी ने बताया कि बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति को जब इसकी जानकारी हुई तब 50 चप्पल बनाने का ऑर्डर मिला. इसको बनाकर मंदिर प्रबंधन को देने के बाद अब 200 कपड़े का चप्पल बनाने का ऑर्डर फिर मिला है.
पढ़ाई का निकलता है खर्च
जीविका से जुड़ी युवतियों ने बताया कि घर बैठे रोजगार मिला है. एक चप्पल को बनाने की कीमत करीब 150 रुपये है और इसे मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को 200 में बेचा जाता है. इससे पढ़ाई का कुछ खर्च निकल जाता है. बता दें कि महाबोधि मंदिर में बाहर और अंदर के हिस्से में कार्पेट बिछाया जाता है इसके बावजूद गर्मी के दिनों में मंदिर पूजा करने आने वाले श्रद्धालुओं को पैरों में जलन की समस्या होने लगती है. इस जलन से अब राहत मिलेगी.
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