Bihar News: बिहार के इस शहर में डिप्टी मेयर अचानक बेचने लगीं सब्जी, मंडी में देख लोग रह गए दंग
Deputy Mayor Chinta Devi: डिप्टी मेयर ने मुताबिक उन्हें कोई सुविधा नहीं मिल रही है. इलाज के लिए कर्ज लेकर परिवार का इलाज करवाया. निगम की बैठक की कोई जानकारी भी नहीं दी जाती है.
Gaya Deputy Mayor Selling Vegetables: गया नगर निगम की डिप्टी मेयर चिंता देवी सोमवार को अचानक सब्जी मंडी में सब्जी बेचने लगीं, ये देख हर कोई अचंभित हो गया. डिप्टी मेयर बनने से पहले वो नगर निगम में सफाईकर्मी का काम करती थीं, आखिर परेशानी क्या है इनकी कि डिप्टी मेयर होते हुए ये सब करना पड़ रहा है. लोग ये जानने के लिए परेशान दिखे.
जनता ने चुनकर बनाया था डिप्टी मेयर
गया नगर निगम स्थित केदार नाथ मार्केट सब्जी मंडी में डिप्टी मेयर चिंता देवी को सब्जी बेचते देख लोग हैरान होने लगे कि आखिर डिप्टी मेयर सब्जी क्यों बेचने लगी हैं. पूछे जाने पर पता चला कि निगम में जब अधिकारियों के जरिए इन्हें तरजीह नहीं मिली तो उन्होंने सब्जी मंडी में बैठकर सब्जी बेचनी शुरू कर दी. सब्जी बेच रही डिप्टी मेयर चिंता देवी ने बताया कि गया नगर निगम के अधिकारी हमें डिप्टी मेयर नहीं समझते हैं, यही कारण है कि जनता की सेवा छोड़कर वो सब्जी बेच रही हैं.
उन्होंने कहा कि निगम कार्यालय में कोई सम्मान नहीं मिला है और न ही कोई काम होता है. कभी कभी ऐसा लगता है कि हम डिप्टी मेयर है हीं नहीं. 40 सालों से नगर निगम के सफाई कर्मी के रूप में काम कर सड़कों पर झाड़ू लगाकर सफाई का काम किया है. निगम कार्यालय में अधिकारियों के जरिए कोई सम्मान नहीं दिया जाता है. सफाई कर्मी का काम करते थे, जिसमें सफाईकर्मी का पेंशन मिलता है. उसी से परिवार का भरण पोषण होता है.
चिंता देवी ने कहा कि अब तक उन्हें डिप्टी मेयर की कोई सुविधा नहीं मिल रही है. इलाज के लिए कर्ज लेकर परिवार का इलाज करवाया है. निगम की बैठक की न ही कोई जानकारी होती है और न ही कुछ विकास कार्यों की जानकारी दी जाती है. बताया कि वह 1 महीना से सब्जी मंडी में सब्जी बेचने का काम कर रही हैं, लेकिन सोमवार को यह मामला सामने आया कि वह निगम के अधिकारियों से नाराज होकर सब्जी बेच रही हैं.
नगर निगम में उपेक्षा की हुईं शिकार
आपको बता दें कि ये वही डिप्टी मेयर चिंता देवी हैं जिन्हें, जनता ने चुनकर सफाईकर्मी से डिप्टी मेयर बना दिया था. दरअसल गया में जब डिप्टी मेयर का पद अनुसूचित जाति के लिए हुआ, तो जनता चिंता देवी से कहने लगी कि आप इस पद के लिए खड़ी हो जाइए, सब लोग मिलकर आपको जिताएंगे. इस पर चिंता देवी ने कहा कि उनके पास पैसे नहीं हैं, तो वह कैसे इस पद के लिए खड़ी होंगी. इस पर जनता ने कहा कि वे पैसे देने को तैयार हैं, सब लोग मिलकर मदद करेंगे. इसके बाद अन्य लोग भी साथ आए और फिर चिंता देवी चुनाव जीत गईं और डिप्टी मेयर बन गईं, लेकिन अब नगर निगम में उपेक्षा का शिकार हो रही हैं.
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