गया: बिहार के गया जिले के बाराचट्टी थाना क्षेत्र के बुमेर पंचायत का गोही गांव है, जहां कब आसमान से तोप का गोला बरसना शुरू हो जाएगा, यह कोई नहीं बता सकता है. कभी दिन में तो कभी रात में यहां तोप का गोला बरसना शुरू हो जाता है. ये तोप के गोले खुले आसमान से नहीं बल्कि यहां से 18 से 20 किमी दूर डोभी प्रखंड के त्रिलोकीपुर गांव स्थित आर्मी के फायरिंग सेंटर से आता है, जहां तोप से गोले फायर की जाती हैं, जो गोही और खजुराइन गांव में गिरता है. यहां पिछले चार जुलाई को 22 वर्षीय युवक रघु मांझी की मौत तोप का गोला चुनने के क्रम में हो गई थी. मृतक नई दिल्ली में काम करता था, जो मई महीने में अपनी शादी के लिए गांव आया था.


बुमेर पंचायत के मुखिया संजीव कुमार ने बताया कि उस गांव के काफी पास में आर्मी का फायरिंग रेंज है, जहां ग्रामीण तोप के गोले को चुनने जाते हैं और उसी क्रम में विस्फोट होने के कारण उनकी मौत हो जाती है. उन्होंने कहा कि गोले का काफी वजन होता है जिसमें से लोहा और पीतल को लोग निकालते हैं. फायरिंग के पूर्व ग्रामीणों को प्रतिबंधित क्षेत्र में जाने से रोकने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधि और पुलिस की मदद से सूचना दी जाती है, पर कभी-कभी आर्मी के निर्धारित रेंज में थोड़ी चूक हो जाने पर तोप के गोले गांव के काफी पास गिरता है.


साल में आठ से नौ महीने फायरिंग से परेशान रहते हैं लोग


वहीं, गोही गांव के ग्रामीण तिलेश्वर सिंह भोक्ता ने बताया कि यहां पिछले 40 वर्षो से ज्यादा समय से फायरिंग होती आ रही है. पहले कम होता था, लेकिन पिछले कई महीनों से दिन में और रातों में भी फायरिंग हो रही है. ग्रामीण वहां प्रवेश न कर सके, इसके लिए कोई घेराबंदी तक नहीं की गई है. यहां तक की उसी फायरिंग रेंज में खेत है, जहां फसल नहीं लगती तथा ग्रामीण जंगलों से लकड़ी नहीं ला पाते हैं. साल में आठ से नौ महीना यहां के लोग फायरिंग से परेशान रहते हैं. इसमें ग्रामीणों की मौत हो जाने के बाद आर्मी द्वारा कोई मुआवजा राशि तक नहीं मिलती है.


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गोला गिरने पर थर्रा जाती है गांव की जमीन


ग्रामीण महेंद्र भारती, विभा देवी, अर्जुन यादव और रेशमी देवी ने बताया कि जब तोप का गोला गांव के समीप गिरता है तो गांव की जमीन थर्रा उठती है. सुरक्षा के दृष्टिकोण से छोटे-छोटे बच्चों को लेकर दूसरे गांव में चले जाते हैं, लेकिन जब रात में भी फायरिंग होती है तो काफी परेशानी होती है. कहा कि देश के जवान यहां अभ्यास करते हैं, इससे कोई आपत्ति नहीं है. चुकी देश की सुरक्षा का मामला है. लेकिन, सरकार द्वारा ऐसा कोई प्रावधान होना चाहिए कि जब उनके गोले से किसी की मौत होती है तो मृतक के परिजनों को कुछ मुआवजा राशि मिले. गांव के लोगों का बीमा होना चाहिए.


क्षेत्र में जागरूकता के लिए माइक से अनाउंसमेंट करने का निर्देश


इस संबंध में एसएसपी हरप्रीत कौर ने बताया कि आर्मी के फायरिंग रेंज में किसी ग्रामीण की मौत तोप के गोले से होने की जानकारी मिलते ही बाराचट्टी थाने की पुलिस और शेरघाटी एसडीपीओ को जांच रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है. चुकी मौत के बाद ग्रामीणों ने शव को बिना पोस्टमार्टम कराए ही दाह संस्कार कर दिया है. सुरक्षा के लिए स्थानीय पुलिस के द्वारा उस क्षेत्र में जागरूकता के लिए माइक से अनाउंसमेंट करने का निर्देश दिया है, ताकि फायरिंग के समय कोई ग्रामीण उस रेंज में न जा सके तथा इसके लिए आर्मी के अधिकारी से भी बात की जा रही है. कहा कि तोप के गिरे गोले में लगे लोहे और पीतल को निकालने के लिए ग्रामीण उस रेंज में चले जाते हैं, जिससे घटनाएं हो रही है.


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