(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Crime News: ...अपराधियों का बचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन! गया पुलिस हो रही हाईटेक, अपनाया नया तरीका
Gaya News: गया पुलिस अपराधियों के फिंगर प्रिंट का एक डाटा तैयार कर रही है. इन सभी को ऑनलाइन फीड कर लिया जाएगा. घटनास्थल पर मिले फिंगर प्रिंट से ऑनलाइन डाटा में मिलान कर उन्हें पकड़ना संभव होगा.
गया: जिला पुलिस (Gaya Police) अब हाईटेक हो रही है. जी हां! अब अपराधियों का बचकर भाग पाना लगभग नामुमकिन हो जाएगा. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जो तरीका गया पुलिस अपना रही है उससे अपराधी का बचना मुश्किल होने वाला है. पुलिस गिरफ्तार हुए अपराधियों (Crime In Bihar) के फिंगर प्रिंट का एक डाटा तैयार कर रही है. इन सभी को ऑनलाइन फीड (Online Fingerprint) कर लिया जाएगा. इसके बाद इन अपराधियों की पूरी जानकारी फीड कर दी जाएगी. इसका नतीजा यह होगा कि भविष्य में कोई भी अपराधी अगर किसी भी अपराध में संलिप्त होता है तो उसकी पहचान की जा सकेगी.
ऑनलाइन डाटा रखने के लिए गिरफ्तार अपराधियों का फिंगर प्रिंट लेकर उनकी डिजिटल कुंडली तैयार की जा रही है. फिंगर प्रिंट को ऑनलाइन कर दिए जाने के बाद अगर कोई अपराधी किसी घटना में गिरफ्तार होता है तो उसकी पहचान करना आसान हो जाएगा. इसके साथ ही मौके पर मिले फिंगर प्रिंट से मिलान कर भी उसे पहचाना जा सकेगा. गया पुलिस के मुताबिक राष्ट्रीय स्वचालित फिंगरप्रिंट पहचान सिस्टम के तहत अपराधियों का फिंगर प्रिंट डाटा बेस तैयार किया जा रहा है. इस बारे में एसएसपी आशीष भारती ने जानकारी दी है.
939 अपराधियों का फिंगर प्रिंट हुआ अपलोड
एसएसपी कहना है कि, अगस्त 2023 से ही गिरफ्तार अपराधियों का डाटा बेस तैयार किया जा रहा है. 4 महीने में अब तक विभिन्न मामलों में गिरफ्तार हुए 939 अपराधियों का फिंगर प्रिंट सिस्टम में अपलोड किया जा चुका है. इसके तहत गिरफ्तार अपराधियों का 10 अंगुलियों का फिंगर प्रिंट लेकर नेशनल ऑटोमेटेड फिंगर प्रिंट आइडेंटिटी सिस्टम पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है. कोई अपराधी किसी घटना को अंजाम देता है तो फिंगर प्रिंट के माध्यम से उसके अपराधिक इतिहास को कुछ ही मिनटों में पता किया जा सकेगा.
NAFIS में फीड डाटा में नहीं हो सकता बदलाव
बता दें कि नेशनल ऑटोमेटिक फिंगर आइडेंटिटी सिस्टम (NAFIS) की मदद से चोर, लुटेरों सहित अन्य तरह के अपराध में संलिप्त शातिरों को पकड़ने की कोशिशें की जाती हैं. देश के 18 राज्यों में इसे जनवरी 2022 से लागू किया गया है. इसमें घटना के बाद स्पॉट से मिले फिंगर प्रिंट अपलोड किए जाते हैं. जैसे ही वह अपराधी देश में कहीं भी दूसरी वारदात करता है तो उस जगह पर मिले फिंगर प्रिंट की मदद से कुछ ही मिनटों में डाटा बेस में फीड फिंगर प्रिंट से मिलान किया जा सकता है. NAFIS को नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) से जोड़ा गया है. फीड डाटा में किसी भी अपराधी के रिकॉर्ड में बदलाव नहीं किया जा सकता है.
ये भी पढ़ें : Buxar News: स्कॉर्पियो के बोनट और शीशे पर लगा था CID का लोगो, पकड़े गए तो सांसद-विधायक के आए फोन!