Giriraj Singh: केंद्रीय मंत्री और सांसद गिरिराज सिंह आज (18 अक्टूबर) से 'हिंदू स्वाभिमान यात्रा' (Hindu Swabhiman Yatra) पर निकल रहे हैं. यह यात्रा भागलपुर से शुरू होगी. यात्रा से एक दिन पहले ही बीते गुरुवार को गिरिराज सिंह भागलपुर पहुंच गए थे. उन्होंने सर्किट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि यात्रा कहीं से शुरू करते तो वो प्रथम ही होता. भागलपुर अपने जख्म को भूला नहीं है. फिर दूसरा जख्म ना पड़े इसलिए भी उन्होंने भागलपुर को चुना है.
'...तो मैं तेजस्वी यादव को धन्यवाद देता हूं'
गिरिराज सिंह ने कहा कि मुझे सूत्रों से पता है कि तेजस्वी यादव ने अपनी यात्रा रद्द कर दी है. या तो 'हिंदू स्वाभिमान यात्रा' से डरकर या फिर समर्थन देने के लिए. अगर समर्थन देने के लिए है तो मैं तेजस्वी यादव को धन्यवाद देता हूं. गिरिराज सिंह ने कहा कि डरने की कोई जरूरत नहीं है. इस यात्रा में आरजेडी, कम्युनिस्ट, जेडीयू और बीजेपी के भी हिंदुओं को आमंत्रण है.
यात्रा की वजह बताते हुए कहा कि मैं 1951 में भागलपुर को देखूं, कटिहार को देखूं या पूर्णिया-किशनगंज को देखूं, तो हमारी बहनों-भाइयों की आबादी गिरती जा रही है. आखिर क्यों? देश के लगभग 400 जिलों में 1600 स्थानों पर उनकी (मुसलमान) आबादी बढ़ गई है हमारी कम हो गई है. जो लोग पूछ रहे हैं मुझसे कि केंद्रीय मंत्री होकर इन्हें यह यात्रा नहीं निकालनी चाहिए, मैं उनको कह रहा हूं कि अगर विपक्ष के नेता होकर तेजस्वी यादव मुसलमानों को इकट्ठा करने के लिए निकल सकते हैं तो मैं अपने अस्तित्व को बचाने के लिए क्यों नहीं निकल सकता हूं?
गिरिराज सिंह ने कहा, "देश के मुसलमान भाइयों से पूछना चाहता हूं कि बंटवारे के बाद कभी ताजिया पर किसी गांव से लेकर शहर तक हमने पत्थर नहीं मारा. ये 15 साल से जबसे आपकी आबादी बढ़ रही है तो कभी दुर्गा पूजा के विसर्जन में या रामनवमी में, आप छतों पर पत्थर इकट्ठा करते हो, हमें मारने के लिए." इस दौरान उन्होंने पुरानी घटनाओं और दंगों की याद दिलाई.
2002 से घुटन महसूस कर रहे गिरिराज सिंह
आगे पत्रकारों के सवालों पर गिरिराज सिंह ने कहा कि यह प्रथम चरण है. आगे देखते चलें. इस सवाल पर कि पार्टी का दबाव है? इस पर उन्होंने कहा कि हमें किसी के दबाव की चिंता नहीं है. 2002 से मैं ये घुटन महसूस कर रहा हूं.
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