Bihar News: केंद्रीय मंत्री और सांसद गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान यात्रा का मंगलवार (22 अक्टूबर) को किशनगंज में समापन हो गया. इस यात्रा के बीच ऐसे-ऐसे बयान सामने आए कि समापन तो हो गया लेकिन सियासत जारी है. गिरिराज सिंह ने अपनी इस यात्रा के पीछे मकसद बता दिया था कि हिंदुओं को एकजुट करना है. 


18 अक्टूबर को भागलपुर से यात्रा शुरू हुई थी. इस दौरान उन्होंने सीमांचल के चार जिले पूर्णिया, अररिया, किशनगंज और कटिहार का दौरा किया. हिंदुओं को एकजुट करने के पक्ष में खूब बोले. बंटोगे तो कटोगे... जैसे कुछ विवादित बयान भी सामने आए. इतना ही नहीं बीजेपी के सांसद प्रदीप सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि अररिया में रहना है तो हिंदू बनना होगा. अब समझिए इस यात्रा के क्या मायने हैं और यह भी जानिए कि सीमांचल में हिंदू और मुस्लिमों की कितनी आबादी है.


किशनगंज में रहते हैं सबसे अधिक मुसलमान


साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, बिहार के सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम आबादी 47% थी. सीमांचल क्षेत्र के चार जिलों में सर्वाधिक मुस्लिम वोटर वाला  क्षेत्र किशनगंज है. यहां मुस्लिम आबादी 68 फीसद के करीब है. वहीं दूसरे स्थान पर कटिहार है, जहां मुस्लिम आबादी की 44 फीसद है. बात अररिया की करें तो यहां 43 फीसद जनसंख्या है जबकि पूर्णिया में 39 फीसद जनसंख्या है. इस जनसंख्या में अब कुछ प्रतिशत की बढ़ोतरी भी हो चुकी है.


सीमांचल में ही गिरिराज सिंह की यात्रा क्यों?


केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने सीमांचल से अपनी यात्रा के तहत क्यों घूमे? इसे 2020 के चुनावी नतीजों से समझिए. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम पर नजर डालें तो सीमांचल के चार जिलों में कुल 24 विधानसभा क्षेत्र है. इसमें 2020 में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और बीजेपी साथ चुनाव लड़ी थी. उस वक्त 24 में 11 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार जीते थे. पूर्णिया में तीन सीट पर मुस्लिम विधायक बने, जिसमें दो सीट पर एआईएमआईएम तो एक सीट पर आरजेडी ने कब्जा जमाया था. कटिहार में दो सीट, अररिया में दो सीट और किशनगंज में सभी चारों सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार जीते थे. इसमें बीजेपी 8 सीटों जीत दर्ज की थी जबकि जेडीयू चार, कांग्रेस चार, आरजेडी तीन, सीपीआईएमएल एक और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम चार सीटों पर चुनाव जीती थी.


सीमांचल के राजनीतिक जानकारों के मुताबिक गिरिराज सिंह ने बीजेपी के इशारे पर यात्रा की है. किशनगंज मुस्लिम बहुल इलाका है और आरजेडी और कांग्रेस ने एक-एक सीट पर जीत दर्ज की थी. अब बीजेपी और जेडीयू की नजर उन सीटों पर है क्योंकि निश्चित तौर पर इस जीत में हिंदू वोटर भी सहयोगी हैं. इन सीटों पर जेडीयू कब्जा जमाते आई है, लेकिन 2020 में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा था. 


कुल मिलाकर यह यात्रा 2025 की तैयारी के लिए माना जा रहा है. हिंदू वोटर एकजुट अगर होते हैं तो निश्चित तौर पर महागठबंधन के लिए बड़ा खतरा होगा, क्योंकि जिन जगहों पर एकदम पूरी तरह से मुस्लिम वोटर हैं वहां जीतना मुश्किल हो सकता है, लेकिन जहां हिंदू वोटर निर्णायक हैं और जातियों में बंटकर वोट बंट जाते हैं उस पर बीजेपी की नजर है.


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