(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Good News: मुंबई में का बा! 80 हजार की नौकरी छोड़कर खेती से लाखों कमा रहे पटना के राजेश, गजब का है ये तरीका
राजेश ने कहा कि उन्होंने पांच बीघा में खेती की है. इससे सालाना 14 से 15 लाख रुपये की कमाई हो जाती है. खेती के अलावा मछली पालन और बत्तख पालन भी करते हैं. इसके अलावा औषधियों के भी सैकड़ों पौधे लगाए हैं.
पटना: कहा जाता है जहां चाह है, वहीं राह है. इस उदाहरण को राजधानी पटना से सटे खुसरूपुर प्रखंड के बैकटपुर गांव के रहने वाले राजेश कुमार सिन्हा ने चरितार्थ कर दिखाया है. राजेश पहले मुंबई में अपने पिता के साथ रहकर 80 हजार रुपये की नौकरी करते थे. 2020 में राजेश की मां के निधन के बाद उन्होंने मुंबई की नौकरी छोड़कर अपने गांव में रहने का फैसला लिया. यू-ट्यूब पर खेती के बारे में देखकर नए तरीके से खेती करना शुरू किया. अब राजेश की खेती की चर्चा पूरे गांव में होती है. राजेश अब लोगों के लिए प्रेरणा बन गए हैं.
राजेश ने बताया कि उन्होंने पारंपरिक खेती की जगह ऑर्गेनिक खेती से अपने काम की शुरुआत की है. खेतों में फसलों के लिए प्राकृतिक संसाधनों से तैयार खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं. जैसे- गुड़, मीठा, गोबर, सूखे पतों इत्यादी से बनाए गए खाद ही खेतों में दिए जा रहे हैं. राजेश ने कहा कि उन्होंने पांच बीघा में खेती की है. इससे सालाना 14 से 15 लाख रुपये की कमाई हो जाती है.
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मछली पालन और औषधि की भी खेती
राजेश ने कहा कि खेती के अलावा मछली पालन और बत्तख पालन भी करते हैं. इसके अलावा औषधियों के भी सैकड़ों पौधे लगाए हैं. शुगर, इंसुलिन, एलोवेरा, मसाला और तुलसी के पौधे से भी कमाई होती है. तुलसी के बीज की कीमत बाजार में 3000 रुपये किलो है. इससे अच्छी कमाई हो रही है. वे ब्लैक गेहूं की भी खेती कर रहे हैं, जिसका बाजार मूल्य 350 रुपये किलो है. इसके अलावा प्राकृतिक खाद से फूल की खेती और हरी सब्जियों की खेती भी की है. राजेश पौधे पर कीटनाशक की जगह गोमूत्र और नीम के छिलके का इस्तेमाल करते हैं.
15 साल की उम्र से मुंबई में रहते थे राजेश
राजेश ने कहा कि उनके पिता मुंबई में सरकारी नौकरी करते थे. सालों पहले से राजेश मुंबई में इंब्रायडरी का काम कर रहे थे. 70 से 80 हजार रुपये महीने की आमदनी होती थी लेकिन मां के निधन के बाद गांव आने का फैसला लिया. राजेश ने कहा, “मेरी मां पहले कहती थी घर आओ लेकिन मैं मुंबई की चकाचौंध वाली जिंदगी जीने में लगा था. मां के देहांत के बाद घर आ गया और यहीं खेती कर रहा हूं. मेरी जिंदगी बदल गई है. मेरा परिवार अब गांव में रहने लगा है.”
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