(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Gopalganj News: बिना जुर्म के 28 साल जेल में रहा शख्स, अब कोर्ट से निर्दोष साबित हुआ, फैसला सुनते ही रो पड़ा बीरबल
18 जून 1993 को सूर्यनारायण भगत के पुत्र सत्यनारायण भगत के बयान पर भोरे थाना में बीरबल भगत को नामजद अभियुक्त बनाया गया था.आज शुक्रवार को जेल से वो बाहर आएगा.
गोपालगंजः अपहरण कांड में गोपालगंज जेल में बंद शख्स को कोर्ट ने 28 साल बाद दोषमुक्त कर दिया. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश पांच विश्व विभूति गुप्ता की कोर्ट ने गुरुवार को उसे दोषमुक्त पाते हुए बाइज्जत बरी कर दिया. कोर्ट का फैसला सुनते ही आरोपित कोर्ट में फूट-फूट कर रो पड़ा. वहीं, कोर्ट ने पुलिस की चूक पर टिप्पणी किया है.
कांड के ट्रायल के दौरान पुलिस ना तो कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रख सकी और ना ही कांड के अनुसंधानकर्ता ही कोर्ट में गवाही के लिए आए. इसके अलावा ना ही पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर पहुंचे और ना ही पुलिस की ओर से चार्जशीट सौंपी गई. कांड की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में हो रही थी. फास्ट ट्रैक कोर्ट के वर्षों से बंद रहने के कारण इस कांड की सुनवाई वर्षों तक बाधित रही.
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अंत में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश पांच की कोर्ट में जब कांड ट्रांसफर होकर पहुंचा तो कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेकर ट्रायल को पूरा कराने के लिए सुनवाई शुरू हुई. कोर्ट के सामने पुलिस की ओर से कोई साक्ष्य नहीं दे पाने की स्थिति में अभियुक्त को दोषमुक्त किया गया. कोर्ट से दोषमुक्त होने के बाद कागजी कार्रवाई पूरा करने के बाद शुक्रवार को उसे जेल से मुक्ति मिल सकेगी.
भोरे के अपहरण कांड में जेल में बंद था अभियुक्त
भोरे थाना के हरिहरपुर गांव के रहने वाले सूर्यनारायण भगत 11 जून 1993 को देवरिया के बनकटा थाना क्षेत्र के टड़वां गांव के रहने वाले युवक बीरबल भगत के साथ मुजफ्फरपुर के लिए घर से निकले थे. उसके बाद से लापता हो गए. परिजन काफी तलाश करते रहे लेकिन पता नहीं चला.
18 जून 1993 को सूर्यनारायण भगत के पुत्र सत्यनारायण भगत के बयान पर भोरे थाना में बीरबल भगत को नामजद अभियुक्त बनाया गया. बाद में देवरिया पुलिस ने एक अज्ञात शव को जब्त किया और यूडी केस दर्ज कर शव को दफना दिया. कुछ दिनों बाद परिजनों ने देवरिया पुलिस से मिली तस्वीर के आधार पर पहचाना कि सूर्यनारायण भगत का ही शव था. देवरिया की पुलिस ने बीरबल भगत को 27 जनवरी 1994 को एक दूसरे आपराधिक मामले में गिरफ्तार किया उसमें 11 वर्षों तक सजा काटने के बाद भोरे पुलिस ने रिमांड पर लेकर गोपालगंज जेल में बंद कर दिया था.
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