पटनाः हिंदू धर्म का सबसे खास दिन आषाढ़ पूर्णिमा है. इसे गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के नाम से भी जाना जाता है. आज के दिन शिष्य अपने गुरुओं को सम्मान देते हैं. गुरु की पूजा करते हैं. माना जाता है कि आज के दिन ही महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. इस अवसर पर राजधानी पटना और पटना सिटी के कई घाटों पर भक्तों ने आस्था की डुबकी लगाई. आइए जानते हैं कि गुरु पूर्णिमा पर गंगा स्नान कर गुरु की पूजा का क्या महत्व है.


हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था. वेदव्यास को हिन्दू धर्म के लोग महाज्ञानी के रूप में संबोधित करते हैं. उन्होंने ही वेदों को चार भाग में बांटा था. ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद. ये ऋषि पराशर और देवी सत्यवती के पुत्र थे, जिन्होंने महाभारत लिखकर हिंदुत्व के इतिहास में अहम भूमिका निभाई थी. ऐसे में उनके भक्तों द्वारा उनको गुरु मानकर उनकी पूजा की जाती है, इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है.



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कटैया घाट का भी विशेष महत्व


राजधानी पटना से सटे फतुहा स्थित कटैया घाट राम जानकी मंदिर में गुरु पूर्णिमा पर शिष्य गंगा स्नान कर, शुद्ध होकर गुरु महाराज की पूजा करते हैं. मंगलवार को भी कुछ ऐसा ही नजारा यहां दिखा. पुजारी अयोध्या शरण ने बताया कि इस मंदिर के सैकड़ों शिष्य हैं. आज के दिन दूर-दूर से यहां शिष्य आते हैं. पहले गंगा स्नान कर शुद्ध हो जाते हैं उसके बाद गुरु महाराज की पूजा करते हैं. इसके बाद भगवान की पूजा करते हैं.


मंदिर के गुरु राम सुंदर दास ने बताया किया यह मंदिर लगभग 500 साल पुराना है. सबसे पहले गुरु कटैया महाराज जी थे जिनके कई शिष्य हुआ करते थे. धीरे-धीरे यह प्रथा खत्म होने लगा है. लोग बहुत कम हो गए हैं. हालांकि अभी भी यहां के 200 से ज्यादा शिष्य हैं जो आज के दिन यहां आते हैं.


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