Jitan Ram Manjhi Controversy: मदन मोहन झा के बयान पर भड़का HAM, कहा- मांझी पर उंगली उठाने की कांग्रेसियों की 'औकात' नहीं
मदन मोहन झा ने मांझी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि राजनीति से जुड़े लोगों को सोच कर बोलना चाहिए. भाषा पर कंट्रोल रखनी चाहिए. केवल मीडिया में बने रहने के लिए अनाप शनाप बयान नहीं देना चाहिए.
पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) की पार्टी हम (HAM) ने बिहार कांग्रेस (Congress) के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा (Madan Mohan Jha) के बयान पर पलटवार किया है. पार्टी प्रवक्ता दानिश रिजवान ने शनिवार को बयान जारी करते हुए कहा कि कांग्रेसियों में हिम्मत है तो मांझी पर अंगुली उठाकर देख ले. उनको उनकी औकात पता चल जाएगी. गजेंद्र झा (Gajendra Jha) का साथ देकर मदन मोहन झा ने कांग्रेस पार्टी की वास्तविकता बता दी है. उन्होंने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के इशारे पर ऐसा बयान दिया है. कांग्रेस ने यदि मदन मोहन झा पर कार्रवाई नहीं की तो प्रखंड स्तर पर राहुल-सोनिया का पुतला फूंका जाएगा.
मदन मोहन झा ने कही थी ये बात
दरअसल, शुक्रवार को तेजस्वी से मिलने पहुंचे मदन मोहन झा ने मांझी के पंडित वाले बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि राजनीति से जुड़े लोगों को सोच समझ कर बोलना चाहिए. भाषा पर कंट्रोल रखनी चाहिए. केवल मीडिया में बने रहने के लिए अनाप शनाप बयान नहीं देना चाहिए. कभी वो कहते हैं कि पूजा-पाठ नहीं करते हैं. पंडित अपने मन से पूजा कराने नहीं जाते हैं. कोई श्रद्धा से बुलाता है, तो ही जाते हैं. सत्यनारायण की पूजा कराने का रिवाज लंबे समय से चला आ रहा था.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि एक बयान में उन्होंने (मांझी) कहा था कि वो मंदिर नहीं जाते लेकिन मैंने फोटो देखी है उनकी पूजा करते हुए. ऐसे में इतने बड़े पद पर रह चुके नेता को ऐसा नहीं कहना चाहिए. वहीं, गजेंद्र झा बयान की भी उन्होंने निंदा की. कहा लोकतंत्र में ऐसी चीजों की कोई जगह नहीं है. लेकिन मांझी को भी अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए. साथ ही आगे से ऐसा नहीं करने का वादा करना चाहिए.
कांग्रेस नेता मांझी का दिया साथ
हालांकि, कांग्रेस नेता शकील अहमद खां ने मांझी का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि दलित समाज सदियों से सताया गया है, उन्होंने अपनी हक के लिए लड़ाई लड़ी है. वो हजारों साल से प्रताड़ना सहता आया है. खास समाज ने उसको प्रताड़ित किया है. बाबा साहब को भी इसी प्रताड़ना से गुजरना पड़ा. फिर बाद में संविधान ने उन्हें इज्जत दी है. लेकिन आज कानून बनने के बाद भी दलित उत्पीड़न का शिकार होते हैं. मांझी के बयान को इस संदर्भ में देखना चाहिए. उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त की है. उन्होंने अपना पक्ष भी रखा है. उस पर ध्यान देना चाहिए. वहीं, मदन मोहन झा के बयान को उन्होंने गलत बताया. उन्होंने कहा कि पार्टी अध्यक्ष किसी एक जाति के नहीं होते. वे धर्म जैसे मुद्दों से ऊपर होते हैं. उनका बयान गलत है. उन्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए.
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