पटना: बिहार स्वास्थ्य विभाग अपने अजब गजब कारनामों के लिए आए दिन सुर्खियों में रहता है. इसी क्रम में विभाग का एक और कारनामा सामने आया है, जिसने विभागीय व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है. दरसअल, सोमवार को विभाग ने 12 अधिकारियों के तबादले का नोटिस जारी किया था. नोटिस में शामिल 12 डॉक्टरों में से एक डॉक्टर रामनारायण राम की मौत हो चुकी है. लेकिन, विभाग ने उनका तबादला करने के साथ ही उन्हें प्रोमोशन भी दिया है.


क्या है पूरा मामला?


बता दें कि मूल रूप से भोजपुर निवासी रामनारायण राम बीते दिनों रोहतास के बिक्रमगंज के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा पदाधिकारी के पद पर तैनात थे. लेकिन पिछले महीने ही कोरोना की वजह से उनकी मौत हो गयी थी. लेकिन विभाग को इस बात की जानकारी नहीं थी. ऐसे में उन्होंने जब डॉक्टरों के तबादले की लिस्ट तैयार की तो बिना किसी जांच के रामनारायण राम का भी नाम लिस्ट में डाल दिया और उन्हें सिविल सर्जन के तौर पर शेखपुरा जिले में पदस्थापित कर दिया.


अब इस बात पर बवाल शुरू हो गया है. विपक्ष के नेताओं ने ये मुद्दा सदन में उठाया और सरकार पर जमकर निशाना साधा. इधर, शेखपुरा के आरजेडी विधायक ने भी विधानसभा के बाहर इस मुद्दे पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जिस डॉक्टर की मृत्यु हो चुकी है, उसका भी बिहार सरकार ने तबादला कर दिया है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार मृत से भी काम लेना चाहती है. इस घटना से आप समझ सकते हैं कि बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था की क्या स्थिति है. स्वास्थ्य विभाग इतनी बड़ी चूक कैसे कर दिया सकती है?


स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने कही ये बात


इधर, इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि जिस वक्त पोस्टिंग के लिए इंटरव्यू हुआ था, उस वक्त वे स्वस्थ थे और उनके गुज़र जाने को खबर नहीं मिली थी. ऐसे में तकनीकी कारणों से उनका पदस्थापना हो गया. इस मामले की जानकारी मिलते ही ज़िले के वरिष्ठ डॉक्टर को सिविल सर्जन का प्रभार दे दिया गया है.


यह भी पढ़ें - 


नीतीश कुमार के विधायक ने खुद को बताया 'रंगबाज', कहा- रिवाल्वर रहता है मेरे पास, निकाल कर ठोक दूंगा


बिहार: आला और बीपी नापने की मशीन लेकर विधानसभा पहुंचे RJD विधायक, जानें- क्यूं?