बक्सर में सदर अस्पताल पहुंचने से पहले ही स्वास्थ्यकर्मी की मौत, सांस लेने में थी तकलीफ
आशा कार्यकर्ता के बेटे ने बताया कि उसकी मां दवा खा कर ड्यूटी कर रही थी. अचानक से तबीयत गुरुवार को रात बिगड़ गई. उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने पर सदर अस्पताल ले जाया जा रहा था कि रास्ते में ही मौत हो गई.
बक्सरः सदर अस्पताल पहुंचने से पहले ही बक्सर में स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी आशा कार्यकर्ता की मौत हो गई. चौगाई पीएचसी से जुड़ी आशा कार्यकर्ता एक हफ्ते से बुखार से पीड़ित थी. हालांकि चौगाई पीएचसी के प्रभारी ने बताया कि पिछले दिनों हुई कोरोना जांच कराई गई थी लेकिन रिपोर्ट निगेटिव थी.
आशा कार्यकर्ता के बेटे ने बताया कि उसकी मां दवा खा कर ड्यूटी कर रही थी. अचानक गुरुवार की रात तबीयत बिगड़ गई. उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने पर सदर अस्पताल ले जाया जा रहा था कि रास्ते में ही मौत हो गई. शुक्रवार को सुबह शव को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लाया गया ताकि कोरोना की जांच हो सके.
सरकार से आपदा के तहत 50 लाख की राशि देने की मांग
जैसे ही पार्थिव शरीर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचा प्रखंड की लगभग दर्जनों आशा कार्यकर्ता पहले से ही वहां मौजूद थीं. सभी फूट-फूट कर रोने लगीं. आशा फैसिलिटेटर सुनैना देवी ने कहा कि हमारे लिए यह दुख की बात है. राज्य सरकार से मांग करती हूं कि जिस तरह से पिछले कोरोना काल में स्वास्थ्यकर्मियों के मरने पर आपदा के तहत 50 लाख की राशि देने की बात सरकार ने कही है उस हिसाब से आशा कार्यकर्ता को भी यह दी जाए. क्योंकि इस आशा कार्यकर्ता ने ड्यूटी निभाते हुए अपने प्राण को त्याग दिया है.
आशा कार्यकर्ता के बेटे अंशु कुमार ने बताया कि 2005 में ही पिता की मौत हो गई थी. मां ही हम भाई बहनों का एक मात्र सहारा थी. मां ने पढ़ा लिखा कर मुझे इंटर तो पास कर दिया लेकिन जैसे ही हमें कुछ करने का और मां को सुख देने का समय आया वह हमारे बीच से चली गई. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचा आशा कार्यकर्ता के पार्थिव शरीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया.
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