Holi 2022: बिहार की एक ऐसी जगह जहां आज मनाई जाएगी ‘घूमर’ होली, भगवान श्री कृष्ण के समय से चली आ रही परंपरा
‘घूमर’ होली में लोग एक-दूसरे के कंधे पर सवार होकर बड़े धूमधाम से मनाते हैं. जिला मुख्यालय से महज आठ किलोमीटर की दूरी पर कहरा प्रखंड के बनगांव की आज भी चर्चा है.
सहरसाः होली को लेकर हर तरफ हर्षोल्लास का माहौल है. कई लोग मथुरा और वृंदावन में होली देखने पहुंचते हैं लेकिन बिहार में एक ऐसी जगह है जहां आज भी 'घूमर' होली खेली जाती है. सहरसा जिला मुख्यालय से महज आठ किलोमीटर की दूरी पर कहरा प्रखंड के बनगांव में मनाई जाने वाली इस होली का अलग ही अंदाज है. इस ‘घूमर’ होली में लोग एक-दूसरे के कंधे पर सवार होकर बड़े धूमधाम से मनाते हैं. हालांकि आज भी कई लोग इसके बारे में नहीं जानते हैं.
वृंदावन की तरह ही यहां की घूमर होली सुंदर होती है. बनगांव की होली 'घूमर' होली के नाम से विख्यात है. संत लक्ष्मीनाथ गोसाई द्वारा शुरू की गई बनगांव की ‘घूमर’ होली ब्रज के लठमार होली की तरह ही विख्यात है. पूरे गांव के लोग पहले गांव में स्थित ललित बंगला के पास एकत्रित होते हैं. इसके बाद सभी भगवती प्रांगण में पहुंचकर होली का आनंद उठाते हैं.
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सदियों से मनाई जा रही है ‘घूमर’ होली
मान्यता के अनुसार, बनगांव में इस होली का प्रचलन भगवान श्री कृष्ण के समय से चला आ रहा है. 18वीं सदी में यहां के प्रसिद्ध संत लक्ष्मीकांत गोसाई नाम के बाबा ने इस होली को मनाने की शुरुआत की थी. इसके बाद से आज तक घूमर होली यहां मनाई जाती है.
बनगांव निवासी मनोज, मिहिर झा और स्थानीय महिलाओं ने बताया कि ‘घूमर होली’ गांव के भगवती स्थान के इमारत पर रंग-बिरंगे फव्वारे में भीगने के बाद पूरी होती है. बीजेपी के पूर्व विधायक संजीव झा ने बताया कि बनगांव की होली, सांप्रदायिक एकता का प्रतीक है. कहा कि बाबा लक्ष्मीनाथ गोसाई द्वारा इस होली में सभी धर्म और जाति के लोग बिना किसी राग द्वेष के साथ मिलकर होली खेलते थे. सभी धर्म व जाति के लोग एक-दूसरे के कंधे पर सवार होकर होली का आनंद लेते हैं. गांव की एकता का यह अनूठा मिशाल है. 'घूमर' होली का आयोजन होली से एक दिन पहले किया जाता है.
दरअसल, ग्रामीणों के द्वारा 'घूमर' होली का नाम दिया गया है. घूमर होली इसलिए कहा जाता है क्योंकि बनगांव में भगवती स्थान में सभी लोग इकट्ठा होते हैं और घूम घूम कर बाबाजी कुटी जाते हैं. इसके बाद बाबाजी कुटी से निकलकर पूरे गांव घूमते हैं और गांव घूमने के बाद सभी लोग भगवती स्थान जाकर होली खेलते हैं.
अनूप जलोटा ने भी पहुंचे
बता दें कि बनगांव की इस ‘घूमर’ होली को राजकीय मान्यता प्राप्त है. इस बार कला एवं संस्कृति विभाग और जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में इस महोत्सव का आयोजन 16,17 और 18 मार्च 2022 को किया जा रहा है. बुधवार की शाम अनूप जलोटा भी पहुंचे थे.
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