पटना: कोरोना से लड़ते-लड़ते रघुवंश बाबू तो चले गए, लेकिन अपने पीछे राजनीतिक दलों के लिए अपार चुनावी मुद्दे छोड़ गए. ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अपनी जिंदगी के अंतिम दिनों में रघुवंश बाबू ने आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के साथ-साथ सीएम नीतीश के नाम जो पत्र लिखा था, उसकी चर्चा खूब जोर पकड़ने लगी है. आरजेडी ने तो इसको साजिश करार देते हुए इशारों-इशारों में प्रदेश की सत्ताधारी दल को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है.
आरजेडी प्रवक्ता ने कही यह बात
आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि वह व्यक्ति जिसने अपने पूरे जीवनकाल में लालू परिवार के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला हो, वो वेंटिलेटर पर अपने मरने से दो दिन पहले चिट्ठी पर चिट्ठी कैसे लिख सकता है. इसके पीछे बड़ी साजिश नजर आती है. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी तेजस्वी यादव के नेतृत्व में रघुवंश बाबू के विचारों को हमेशा जीवंत रखेगी.
बीजेपी प्रवक्ता ने कही यह बात
इसी संबंध में जब बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद से बात कि तो उन्होंने आरजेडी पर हमला करते हुए कहा कि अनपढ़ जाहिल जमात में विद्वानों का क्या सम्मान होगा? जिस तरह से आरजेडी ने रघुवंश बाबू जैसे नेता का जीते जी अपमानित किया, पार्टी में एक लोटा पानी बताकर बाहर फेंकने की बात की और उनके निधन के बाद उनकी विद्वता ही नहीं उनकी चिट्ठी पर जो उन्होंने अपने हाथों से लिखी उसपर भी सवाल उठाया है. रघुवंश बाबू सभी पार्टी और धर्म से परे एक सम्मानित नेता थे और उनका सभी सम्मान करते हैं.
जेडीयू प्रवक्ता ने कही यह बात
इसी मामले पर जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने तेजप्रताप यादव के उस बयान का जिक्र किया जब उन्होंने रघुवंश बाबू पर कहा था कि समंदर में से एक लोटा पानी निकालने से कुछ नहीं होने वाला है. जेडीयू प्रवक्ता ने रघुवंश बाबू के संबंध में कहा कि जीवन के 40 वर्ष ही नहीं इससे भी ज्यादा समय उन्होंने सार्वजनिक जीवन में जिस निष्ठा और ईमानदारी के साथ समाज के आखरी पायदान पर खड़े व्यक्ति की सेवा की और पूरा जीवन लालू जी के साथ उन्होंने बिताया, उनके योगदान को उनकी पार्टी माने या न माने देश के तमाम राजनीतिक दल उनके खिलाफ कभी कोई आपत्ति जनक टिप्पणी से बचते रहे हैं. रघुवंश बाबू दल से परे थे.
गौरतलब है कि अक्टूबर-नवंबर में बिहार विधानसभा चुनाव होने हैं. इसी मद्देनजर सभी राजनीतिक दल अपने-अपने सुविधानुसार रघुवंश बाबू की चिट्ठी को जनता के बीच दिखाते रहेंगे. जहां एक तरफ आरजेडी को रघुवंश बाबू के विचारों को लेकर आगे बढ़ना होगा तो वहीं दूसरी तरफ आरजेडी के विरोधी चिट्ठी के जरिये आरजेडी को ही घेरते हुए दिखाई देंगे.