(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कैसे 'स्मार्ट' बनेंगे बच्चे? कैमूर के 105 गांवों में आज भी नेटवर्क नहीं, बात करने के लिए पेड़ पर चढ़ते हैं लोग
ग्रामीण बताते हैं कि अधौरा प्रखंड में कुल 108 गांव हैं, जिसमें अधौरा मुख्यालय, लोहरा और बभनी कला गांव में बीएसएनएल का नेटवर्क काम करता है. उसके बाद पूरे 105 गांव में मोबाइल का कोई नेटवर्क नहीं है.
कैमूर: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सरकार ने स्कूलों को बंद कर दिया है. वहीं, बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने को कहा है. सरकार के आदेश के अनुसार सरकारी और प्राइवेट स्कूलों ने ऑनलाइन क्लास की व्यवस्था कर दी है. लेकिन बिहार के कैमूर जिले के अधौरा प्रखंड के 105 गांवों में रहने वाले बच्चे इस व्यवस्था का लाभ नहीं उठा पाएंगे. कारण यह कि पहाड़ी इलाकों में आने वाले अधौरा प्रखंड में आज भी नेटवर्क की समस्या है. पूरे प्रखंड में सही ढंग से अभी भी 2जी सेवा भी उपलब्ध नहीं है.
घोर नकस्ल प्रभावित इलाका था अधौरा
बता दें कि अधौरा प्रखंड में कुल 108 गांव हैं, जिसमें से केवल तीन गांव में ही बीएसएनल का नेटवर्क काम कर पाता है. बाकी के 105 गांवों में आज भी नेटवर्क नहीं है. जिन तीन गांवों में नेटवर्क काम करता है, उसमें एक माह में 10 दिन नेटवर्क फेल ही रहता है. अधौरा प्रखंड जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर 1400 फिट ऊंचे पहाड़ी पर स्थित है. यह इलाका नक्सल प्रभावित माना जाता है. यहां पहले नक्सलियों की तूती बोलती थी. लोग इस इलाके में जाने से भी डरते थे, जिस कारण इस गांव में ना तो बिजली पहुंच पाई है और ना ही मोबाइल का नेटवर्क काम करता है. नक्सलियों का डर फिलहाल तो खत्म हो गया, लेकिन प्रखंड का 105 गांव अभी भी विकास से कोसों दूर हैं.
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ग्रामीण बताते हैं कि अधौरा प्रखंड में कुल 108 गांव हैं, जिसमें अधौरा मुख्यालय, लोहरा और बभनी कला गांव में बीएसएनएल का नेटवर्क काम करता है. उसके बाद पूरे 105 गांव में मोबाइल का कोई नेटवर्क नहीं है. लोगों को अगर बात भी करनी होती है तो वो गांव से दूर ऊंची पहाड़ी पर जाते हैं या फिर पेड़ के ऊपर चढ़ने पर कुछ नेटवर्क आता है, तो किसी तरह वे बात करते हैं. अगर कोई दूसरा व्यक्ति इन ग्रामीणों के नंबर पर संपर्क करना चाहे तो बात नहीं हो पाएगी, कारण पूरे पहाड़ी इलाके में कहीं टावर काम नहीं करता है.
बच्चों ने व्यक्त की चिंता
छात्र बताते हैं सरकार ने 21 जनवरी तक स्कूल बंद कर दिया है. ऑनलाइन पढ़ाई की बात कही जा रही है, लेकिन यहां तो मोबाइल का कोई टावर ही नहीं है, तो ऑनलाइन कैसे पढ़ेंगे. हम लोगों का इलाका पूरा पहाड़ी है. नक्सलग्रस्त भी रहा है ऐसे में ना तो बिजली है, ना टावर है. बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह बाधित हो रही है.
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