बाढ़ पीड़ितों की आवाज उठाने की मुखिया पति को मिली सजा, पुलिस ने गलत आरोप लगाकर भेजा जेल
मुखिया पति ने बेनीपुर के सीओ, बीडीओ सहित दरभंगा के आला आधिकारीयों को पत्र लिखकर कई बार इस समस्या को लेकर सबकी तरफ से गुहार लगाई. लेकिन मामले में कोई सुनवाई नहीं हुई.
दरभंगा: बिहार के दरभंगा के बेनीपुर प्रखंड के देवराम अमेठी पंचायत से एक अजीब मामला सामने आया है, जहां मुखिया पति की ओर से बाढ़ पीड़ितों की समस्या और राहत राशि नहीं मिलने को लेकर आवाज उठाने पर उन्हें जेल भेज दिया गया. मिली जानकारी अनुसार मुखिया संजीदा खातून, जिनके पति गयासुद्दीन पूर्व मुखिया भी हैं के पास इलाके के कुछ लोग पहुंचे और उन्होंने बाढ़ से हो रही समस्या सहित राहत राशि न मिलने की बात बताई.
कई बार दिया लिखित आवेदन
ऐसे में मुखिया पति ने बेनीपुर के सीओ, बीडीओ सहित दरभंगा के आला आधिकारीयों को पत्र लिखकर कई बार इस समस्या को लेकर सबकी तरफ से गुहार लगाई. लेकिन मामले में कोई सुनवाई नहीं हुई. 6 बार पत्र लिखकर हार गए मुखिया पति ने अंत में मजबूर होकर प्रशासन को अल्टीमेटम दिया कि अगर ग्रामीणों को सहायता राशि नहीं मिलती है, तो शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया जाएगा.
गलत आरोप लगाकर भेजा जेल
इधर, 27 अक्टूबर को हजारों ग्रामीणों के साथ मुखिया पति बेनीपुर अंचल कार्यालय के आगे धरना पर बैठ गए. ग्रमीणों का आक्रोश बढ़ता देख प्रशासन ने बात की और स्थानीय बीडीओ ने कहा कि 5 दिनों बाद सब को सहायता राशि मिल जाएगी, जिसका सभी ग्रमीणों के सामने पदाधिकारीयों द्वारा समझौता पत्र भी बनाया गया. लेकिन धरना खत्म होने के अगले ही दिन 28 अक्टूबर को बेहड़ा थाना प्रभारी मुखिया के घर पहुंचे और उन्हें यह कहा गया आप साथ चले डीएसपी साहब बात करेंगे. लेकिन वहां रोड़ेबाजी करने सहित अनेक आपराधिक धाराएं लगा मुखिया पति को जेल भेज दिया गया.
मुखिया पति ने कही यह बात
एक महीने जेल में रहकर आये गयासुद्दीन अब न्याय पाने की गुहार लगा रहे हैं. उनका कहना है कि लोकतंत्र में संवैधानिक तरीके से आम जनमानस की आवाज उठाना क्या गुनाह है? साथ ही उन्होंने यह भी कहा अगर आचार संहिता नहीं लगी होती हम लोग दरभंगा जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री आवास तक न्याय पाने के लिए शांति पूर्वक धरना प्रदर्शन करते.