Exclusive: IAS अधिकारी का वो दोस्त गिरफ्तार जिसके पास था BPSC का प्रश्नपत्र, रंजीत से उसकी एक दिन में 10 बार हुई थी बात
पेपर लीक के दिन आईएएस रंजीत कुमार सिंह को कृष्ण मोहन सिंह ने पांच बार कॉल किया था. पांच बार रंजीत ने वापस कृष्ण मोहन को फोन किया था. इन दोनों की पुरानी दोस्ती है.
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पटनाः बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 67वीं संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगिता परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक मामले में इसका खुलासा हो गया है कि आईएएस रंजीत कुमार सिंह (IAS Ranjit Kumar Singh) को वायरल प्रश्न पत्र किसने भेजा था. इस मामले में ईओयू ने कृष्ण मोहन सिंह नाम के शख्स को गिरफ्तार किया है. उसने बताया है कि उसी ने आईएएस रंजीत कुमार सिंह को वॉट्सएप पर प्रश्न पत्र भेजा था. इस मामले में ईओयू (EOU) की टीम ने रंजीत कुमार सिंह से 1.5 घंटे तक पूछताछ भी कर चुकी है. एफआईआर में रंजीत सिंह का नंबर आया है इस खबर को एबीपी न्यूज ने ही पाठकों को सबसे पहले बताया था.
एबीपी न्यूज कर रहा एक और नया खुलासा
एबीपी न्यूज आपको सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर बताने जा रहा है कि परीक्षा वाले दिन ही रंजीत कुमार सिंह और उनके दोस्त की फोन पर दस बार बातचीत हुई है. पांच बार कॉल रिसीव और पांच बार कॉल किया गया है. कोई कॉल 9 मिनट तो कोई 12 या 15 मिनट का है. यह सारी जानकारी ईओयू के विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से एबीपी न्यूज को मिली है. रंजीत कुमार सिंह के फोन में कृष्ण मोहन सिंह का नंबर सेव था. ईओयू के एक अधिकारी ने कहा कि कॉल रिकॉर्ड के प्रिंट आउट्स हैं कि कृष्ण मोहन से कितनी बार और कब-कब आईएएस रंजीत कुमार सिंह की बातचीत हुई है.
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कृष्ण मोहन और आईएएस की पुरानी दोस्ती
बता दें कि ईओयू ने चार लोगों को फिर गिरफ्तार किया है. इसके बारे में ईओयू की ओर से रविवार को पुष्टि की गई है. इसमें कृषि विभाग भागलपुर का क्लर्क राजेश कुमार शामिल है. यह क्लर्क पेपर लीक करने वाले गिरोह का सदस्य है. गिरफ्तार तीन अन्य सदस्यों में निशिकांत कुमार, कृष्ण मोहन सिंह और सुधीर कुमार सिंह शामिल हैं. कृष्ण मोहन सिंह राजापाकड़ (वैशाली) का रहने वाला है. आईएएस रंजीत कुमार की इसकी पुरानी दोस्ती है.
सीए के नाम के सवाल पर पहले नहीं दिया जवाब
सूत्रों के अनुसार, रंजीत कुमार सिंह से जब उनके एक सीए का नाम पूछा गया तो पहले उन्होंने मना कर दिया. ईओयू से कहा कि वो नहीं जानते हैं. जब ईओयू ने सबूत दिखाया तो रंजीत कुमार सिंह के होश उड़ गए. उनसे सवाल किया गया था कि वो जो पढ़ाते हैं कोचिंग उसके लिए पैसे लेते हैं या नहीं. इसी के बाद ईओयू ने सीए का नाम लिया था. शुरू में रंजीत कुमार सिंह ईओयू को बरगलाते रहे. कहते रहे कि वो नहीं जानते हैं. जब ईओयू ने बताया बातचीत के बारे में तब स्वीकार कर लिया.
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